काठमांडू, 21 मार्च। कोरोना काल में नेपाल को चीन सरकार से अनुदान में मिली 40 लाख डोज वैक्सीन बिना प्रयोग के ही नष्ट हो गई है। इसकी कीमत 150 करोड़ रुपये बताई गई है। अब स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे बड़ी समस्या इसके डिस्पोजल को लेकर हो रही है, क्योंकि नेपाल में ऐसी कोई भी जगह नहीं है, जहां इतने बड़े पैमाने पर किसी वैक्सीन को डंप किया जा सके।

स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता मोहन कोइराला ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना के समय 2021 में चीन सरकार ने अपने यहां निर्मित सिनोवैक कंपनी की वेरोसील कोरोना वैक्सीन की 40 लाख डोज दी थी। लगभग 150 करोड़ रुपये कीमत की चीनी वैक्सीन एक्सपायर होने से बिना प्रयोग के ही बेकार हो गई है। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर पहली बार वैक्सीन नष्ट हुई है। अब स्वास्थ्य विभाग के लिए सबसे बड़ी समस्या इसके डिस्पोजल को लेकर हो रही है। स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि नेपाल में ऐसी कोई भी जगह नहीं है, जहां इतने बड़े पैमाने पर किसी वैक्सीन को डंप किया जा सके।

आखिर इतनी अधिक संख्या में वैक्सीन का प्रयोग क्यों नहीं हो पाया, जबकि कोरोना के दौरान लोग वैक्सीन के लिए परेशान हो रहे थे? इस सवाल का जवाब देते हुए नेपाल स्वास्थ्य विभाग के टीका अभियान के महानिदेशक टंक प्रसाद बाराकोटी ने कहा कि लोगों में चीन में निर्मित वैक्सीन के प्रति भरोसा नहीं होने के कारण यह बिना प्रयोग के ही नष्ट हुई है। महानिदेशक ने यह भी कहा कि भारत सरकार की तरफ से वैक्सीन मैत्री अभियान के तहत दो-दो प्रकार की वैक्सीन इतनी अधिक मात्रा में अनुदान में उपलब्ध कराई गई और लोगों में उस वैक्सीन के प्रति विश्वास होने के कारण लोग सिर्फ उसी वैक्सीन को प्राथमिकता दे रहे थे। इसी कारण से चीनी वैक्सीन बिना प्रयोग के ही एक्सपायर हो गई।