नई दिल्ली, 08 अगस्त। पंजाब माध्यमिक बाेर्ड के फर्जी अंक पत्र और प्रमाण पत्र बेचने से संबंधित मामले में सीजेएम कोर्ट श्रीगंगानगर(राजस्थान) की नामित अदालत ने 22 निजी व्यक्तियों को दो वर्ष की कारावास की सजा सुनाई है। केंद्रीय जांच ब्यूराे (सीबीआई) सीबीआई ने गुरुवार काे यह जानकारी दी। सीबीआई टीम द्वारा गहन जांच एवं प्रभावी अभियोजन के फलस्वरूप यह दोषसिद्धि हुई, जिसमें विश्वसनीय साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, जिन्हें विचारण अदालत ने भी सही ठहराया।
सीबीआई के मुताबिक, श्रीगंगानगर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने फर्जी अंकतालिकाओं एवं प्रमाण पत्रों की बिक्री से संबंधित मामले में कश्मीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, मलकीत सिंह, गुरपाल सिंह, परमजीत सिंह, खुशविंदर सिंह, चंदर सिंह, कृष्ण कुमार बिश्नोई, बलदेव सिंह पुत्र मोहर सिंह, गुरजिंदरपाल सिंह, पंकज चोपड़ा, हरगुरनाथ सिंह, मुकेश कुमार गर्ग, मंदीप सिंह, राजपाल सिंह, मनजीत सिंह, गुरविंदर सिंह, हरविंदर सिंह, बलवीर सिंह, केवल सिंह, बलदेव सिंह पुत्र जीत सिंह एवं जसमत सिंह सहित 22 निजी व्यक्तियों को दो वर्ष की कारावास के साथ जुर्माने की सजा सुनाई।
सीबीआई ने 30 जुलाई 1997 को इस मामले को अपने हाथों में लिया था। एक शिकायत के आधार पर पूर्व में यह मामला श्रीगंगानगर जिले के सदर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी संख्या 301/1996 के तहत दर्ज किया गया था।
सीबीआई के मुताबिक, शिकायतकर्ता का आरोप था कि आरोपिताें ने कथित तौर पर पंजाब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जाली व नकली अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र बेचकर धोखाधड़ी की। इसके बाद सीबीआई ने 25 आरोपिताें के खिलाफ 21 अप्रैल 1999 को आरोप पत्र दायर किया तथा आरोपिताें के विरुद्ध औपचारिक रूप से 2003 को आरोप तय किए गए।
सीबीआई द्वारा जारी बयान के मुताबिक, सुनवाई पूरी होने के पश्चात अदालत ने 22 आरोपिताें को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई। दो आरोपिताें के विरुद्ध उनकी मृत्यु के कारण विचारण रोक दिया गया जबकि एक आरोपित को नाबालिग होने के कारण अदालत ने बरी कर दिया।