जिनेवा, 20 मार्च । संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपनी वार्षिक क्लाइमेट स्टेटस रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि 2024 अब तक का सबसे गर्म साल रहा। इसने 2023 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया। संगठन के अनुसार, 2024 में पहली बार वैश्विक तापमान 1850-1900 में निर्धारित आधार रेखा से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया। यह रिपोर्ट 19 मार्च को यहां संगठन की महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने जारी की।

इससे पहले की रिपोर्ट में 2014 से 2023 का समय सबसे गर्म दशक के रूप में रिकॉर्ड किया गया था। इन 10 वर्षों में हीटवेव ने महासागरों को प्रभावित किया। साथ ही ग्लेशियरों को रिकॉर्ड नुकसान हुआ। यही नहीं

साल 2024 में चक्रवात, बाढ़, सूखा और अन्य आपदाओं ने 2008 के बाद से सबसे अधिक लोगों को विस्थापित किया। लगभग 36 मिलियन लोगों को अपने घरों से बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा। सिचुआन भूकंप के बाद चीन में लाखों लोग विस्थापित हुए। बाढ़ ने भारत में भी लाखों लोगों को प्रभावित किया। सऊदी अरब सहित दर्जनों स्थानों में अभूतपूर्व हीटवेव दर्ज की गई। हज यात्रा के दौरान तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया ।

रिपोर्ट में आगाह किया है कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन के संकेत 2024 में नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए। संभवतः 2024 पहला कैलेंडर वर्ष है, जिसका तापमान पूर्व औद्योगिक युग से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। वैश्विक औसत सतही तापमान 1850-1900 के बीच 1.55 ± 0.13 डिग्री सेल्सियस अधिक था। रिपोर्ट में जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए मजबूत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और जलवायु सेवाओं में निवेश की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

संगठन की महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि पेरिस समझौते के दीर्घकालिक तापमान लक्ष्य पहुंच से बाहर हैं। यह एक चेतावनी है कि हम अपने जीवन, अर्थव्यवस्था और ग्रह के लिए जोखिम बढ़ा रहे हैं। 2024 के दौरान महासागर गर्म होते रहे। समुद्र का स्तर बढ़ता रहा और अम्लता बढ़ती रही। ग्लेशियर तेजी से पिघल और सिकुड़ रहे हैं। इस जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में विनाशकारी परिणाम सामने आ रहे हैं।