
नई दिल्ली, 18 मई । संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के 17 सांसदों और दो संसदीय समितियों को संसद रत्न पुरस्कार 2025 के लिए चुना है। पुरस्कारों के लिए चयन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर की अध्यक्षता में बनी समिति ने किया है।
साल 2010 में संसद रत्न पुरस्कार शुरू किए गए थे। इसका विचार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने दिया था और उन्होंने मई 2010 में चेन्नई में आयोजित पहले समारोह का उद्घाटन किया था। पुरस्कार प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन और ई-मैगजीन प्रेसेन्स की पहल पर दिए जाते हैं। हंसराज गंगाराम अहीर इस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे।
प्राइम प्वाइंट फाउंडेशन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार यह पुरस्कार समारोह जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में नई दिल्ली में आयोजित होगा। इस बार चार सांसदों को विशेष पुरस्कार मिलेंगे, जिन्हें “संसदीय लोकतंत्र में निरंतर और उत्कृष्ट योगदान” के लिए चुना गया है। इनमें भरतृहरि महताब (ओडिशा), एन.के. प्रेमचंद्रन (केरल), सुप्रिया सुले और श्रीरंग बारणे (दोनों महाराष्ट्र) शामिल हैं।
महाराष्ट्र ने इस वर्ष सबसे ज्यादा सात पुरस्कार अपने नाम किए हैं। इन विजेताओं में स्मिता वाघ, अरविंद सावंत, नरेश म्हस्के, वर्षा गायकवाड़ और मेधा कुलकर्णी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश से प्रवीण पटेल और रवि किशन, झारखंड से निशिकांत दुबे और बिद्युत महतो, राजस्थान से पी.पी. चौधरी और मदन राठौर, तमिलनाडु से सी.एन. अन्नादुरई और असम से दिलीप सैकिया को भी सम्मानित किया जाएगा।
संसद रत्न पुरस्कारों की शुरुआत 2010 में की गई थी। अब तक 125 पुरस्कार दिए जा चुके हैं। ये पुरस्कार सांसदों के बहस, प्रश्न और निजी विधेयकों की संख्या जैसे प्रदर्शन मानकों के आधार पर दिए जाते हैं।
इस बार दो संसदीय स्थायी समितियाँ भी पुरस्कार पाएंगी– वित्त पर स्थायी समिति (अध्यक्ष भरतृहरि महताब) और कृषि पर स्थायी समिति (अध्यक्ष चरणजीत सिंह चन्नी)। इन समितियों को संसद में प्रस्तुत की गई रिपोर्टों के लिए चुना गया है।