उपमुख्यमंत्री देवड़ा ने करदाताओं और विभागीय अमले को दी बधाई
भोपाल, 04 जनवरी। मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा माह दिसम्बर में पिछले वित्तीय वर्ष के दिसम्बर माह के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष के दिसम्बर माह में जीएसटी राजस्व 11 प्रतिशत बढ़ गया है। प्रदेश के लिए यह उल्लेखनीय उपलब्धि है। राज्य के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने करदाताओं का आभार व्यक्त करते हुए विभागीय अमले को बधाई दी है।
जनसम्पर्क अधिकारी संतोष मिश्रा ने गुरुवार को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 के दिसम्बर माह में प्रदेश को 2976 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। इसकी तुलना में चालू वित्तीय वर्ष में माह दिसम्बर में जीएसटी में 3304 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। यह पूर्व वर्ष से 11 प्रतिशत अधिक है।
जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद किसी एक माह में प्राप्त जीएसटी की सर्वाधिक राशि है। इसी प्रकार माह दिसम्बर, 2023 तक जीएसटी से कुल 23471 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पूर्व वर्ष से 21 प्रतिशत ज्यादा है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के मार्गदर्शन में वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा राजस्व संग्रहण में उल्लेखनीय कार्य हो रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में विशेष प्रयासो से राजस्व संग्रहण में निरंतर सफलता अर्जित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि पंजीयत व्यवसाइयों की संख्या में वृद्धि के लिए प्रदेश के सभी जिलों की जनसंख्या एवं आर्थिक स्थिति के आधार पर पंजीयन के लक्ष्य निर्धारित किए गए। सभी वृत्त कार्यालयों में इस पंजीयन अभियान में तत्परता के साथ कार्य करते हुए अपंजीयत करदाताओं को पंजीयत करने का कार्य किया गया। इसी का परिणाम है कि वर्तमान में प्रदेश में पंजीयत व्यवसाईयों की कुल संख्या पांच लाख से भी अधिक पहुंच चुकी है। वर्ष 2018 में पंजीयत व्यवसायी तीन लाख 84 हजार 438 की तुलना में वर्तमान में पंजीयत व्यवसायी की संख्या पांच लाख 31 हजार 147 है। जो तुलनात्मक रूप से 38 प्रतिशत अधिक है।
पंजीयन सत्यापन के लिए मोबाइल एप तैयार किया गया है। इस एप के माध्यम से ही फील्ड अधिकारियों के द्वारा संदिग्ध करदाताओं के पंजीयन सत्यापन की कार्यवाही की जा रही है। विभाग के द्वारा डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से 4909 बोगस करदाताओं की पहचान की गई तथा इनमें से प्रदेश में पंजीयत 139 बोगस करदाताओं के पंजीयन निरस्त किए गए। बोगस/फेक तथा निष्क्रिय व्यवसाईयों को नियमित रूप से चिन्हित किया जाकर इनके पंजीयन निरस्तीकरण की कार्यवाही प्राथमिकता पर की जा रही है। जीएसटी लागू होने के उपरान्त अभी तक कुल दो लाख 51 हजार 510 पंजीयन निरस्त भी किए गए हैं।
राजस्व वृद्धि के अन्य प्रयासों में स्क्रूटनी, आडिट एवं प्रवर्तन के विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। मुख्यालय स्थित डेटा, कमाण्ड एंड कंट्रोल सेन्टर में एनालिटिक्स टीम के द्वारा आयकर अधिनियम से संबंधित जानकारी का जीएसटी रिटर्नस से मिलान, अन्य शासकीय विभागों जैसे कोष एवं लेखा, माईनिंग, ट्रांसपोर्ट आदि से जानकारी प्राप्त कर उनका मिलान भी जीएसटी रिटर्नस से किया जा रहा है। अन्य विभागों से प्राप्त जानकारी के आधार पर अपंजीयत करदाताओं को पंजीयत करने की कार्यवाही भी की जा रही है। इन्दौर स्थित मुख्यालय द्वारा डेटा एनालिटिक्स के आधार पर विभिन्न कार्यवाहियों हेतु प्रकरण चिन्हित किए जाकर नियमित रूप से फील्ड अधिकारियों को प्रेषित किए जाते हैं।
मुख्यालय स्तर पर कंस्ट्रक्शन, माईनिंग, बिल्डिंग मटेरियल, शासकीय सप्लाय आदि सेक्टर से संबंधित स्क्रूटनी के 4848 प्रकरण आबंटित किए गए। इन प्रकरणों की स्क्रुटनी के उपरान्त 442 करोड़ रुपये की राशि जमा करवाई गई तथा 691 करोड़ रुपये की अतिरिक्त मांग प्रस्तावित की गई। डेटा एनालिटिक्स के आधार पर ही ऑडिट के 1205 प्रकरणों का चिन्हांकन किया जाकर ऑडिट हेतु आवंटन किया गया। ऑडिट कार्यवाही से अभी तक 80 करोड़ की राशि जमा हो चुकी है। कर अपवंचन संबंधी सेक्टर के करदाताओं के विरूद्ध डेटा एनालिसिस के आधार पर प्रवर्तन की कार्यवाही की गई। इस वित्तीय वर्ष में कर अपवंचन में लिप्त ऐसे 1106 प्रकरणों में कार्यवाही की जाकर विभाग के द्वारा 438 करोड़ रुपये जमा करवाए गए हैं।
आईटीसी रिवर्सल के क्षेत्र में भी विभाग के द्वारा डेटा एनालिसिस के आधार पर करदाताओं का चिन्हांकन किया गया तथा अपात्र तथा अप्राप्त आईटीसी का नियमानुसार रिवर्सल करवाया गया। आईटीसी रिवर्सल की इस कार्यवाही से विभाग को इस वित्तीय वर्ष में माह दिसम्बर तक 2642 करोड़ रुपये की राशि आईजीएसटी सेटलमेंट के रूप में प्राप्त हुई है।