कोलकाता, 04 दिसंबर । पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी 104 वर्षीय रसिक मंडल को 36 साल बाद जेल से रिहा किया गया है। मंडल को मंगलवार शाम मालदा सुधार गृह से छोड़ा गया। रिहाई के बाद उन्होंने कहा कि अब वह अपना समय परिवार के साथ बिताएंगे और बागवानी करेंगे।
रसिक मंडल को 1988 में अपने भाई की हत्या के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। यह मामला जमीन विवाद से जुड़ा था। उन्हें बीच में करीब एक साल की जमानत मिली थी, लेकिन जमानत अवधि समाप्त होने के बाद वह वापस जेल चले गए। इससे पहले उनके रिहाई के कई प्रयास सत्र और उच्च न्यायालय में विफल रहे थे।
मालदा जिले के माणिकचक निवासी मंडल ने जेल से बाहर आने के बाद पत्रकारों से कहा कि मुझे नहीं पता मैंने जेल में कितने साल बिताए। ऐसा लगा कि यह समय कभी खत्म नहीं होगा। अब जब मैं बाहर आ गया हूं, तो मैं अपने छोटे से बगीचे में पौधों की देखभाल करूंगा और अपने परिवार और पोते-पोतियों के साथ समय बिताऊंगा।
हालांकि, जब उनसे उनकी उम्र पूछी गई, तो उन्होंने 108 वर्ष बताया। लेकिन उनके साथ मौजूद बेटे ने कहा कि वह 104 साल के हैं। सुधार गृह के अधिकारियों ने भी रिकॉर्ड के आधार पर उनकी उम्र 104 वर्ष बताई।
रसिक मंडल के बेटे ने बताया कि उनके पिता की रिहाई का रास्ता सुप्रीम कोर्ट के आदेश से साफ हुआ। उन्होंने कहा कि कुछ वर्षों के बाद, हर कैदी को रिहाई का अधिकार मिलता है यदि उसने जेल में किसी अनुचित कार्य में संलिप्तता नहीं दिखाई हो। हमें खुशी है कि सुप्रीम कोर्ट ने अंततः उनके रिहाई का आदेश दिया। सुधार गृह विभाग के अधिकारियों ने कहा कि राज्य की जेलों में 100 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों के मामले बहुत कम देखने को मिलते हैं।