यरूशलेम, 13 अक्टूबर। फिलिस्तीनी आंदोलन हमास द्वारा शुरू किए गए हमले के जवाब में इज़रायल की ओर से की गई गोलाबारी में करीब 10 लाख पीड़ितों को गाजा पट्टी में सुरक्षित आश्रय नहीं मिल पा रहा है, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। कोष के पश्चिम एशिया क्षेत्रीय कार्यालय ने एक्स पर लिखा,“गाजा से आ रहे दृश्यों से हम भयभीत हैं। पीड़ितों में बड़ी संख्या में बच्चे हैं। करीब 10 लाख लोगों के पास जाने के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं है। यह अस्वीकार्य है और हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए।”
इज़रायल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने गाजा शहर के नागरिकों से ‘अपनी सुरक्षा के लिए’ दक्षिण की ओर खाली करने की चेतावनी जारी की थी।
संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि इजरायली सेना ने संयुक्त राष्ट्र को यह भी सूचित किया था कि उत्तरी गाजा की आबादी और संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारियों को 24 घंटे के भीतर दक्षिणी गाजा में स्थानांतरित हो जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने इज़राइल से आदेश को रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा कि ‘विनाशकारी मानवीय परिणामों के बिना इस तरह के आंदोलन का होना असंभव है।’
गौरतलब है कि सात अक्टूबर को हमास ने गाजा पट्टी से इज़रायल के खिलाफ बड़े पैमाने पर रॉकेट हमला किया, जिससे इजरायल को अगले दिन युद्ध की स्थिति घोषित करने तथा जवाबी हमले शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गौरतलब है कि गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक पर इजरायली हमलों में मरने वालों की संख्या कुल 1,569 हो गई है जबकि 7,212 अन्य घायल हुए हैं। फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गाजा में मरने वालों में 500 बच्चे और 276 महिलाएं भी शामिल हैं।
फिलिस्तीनी इस्लामिक प्रतिरोध आंदोलन (हमास) द्वारा शनिवार को बड़े पैमाने पर किए गए अचानक हमले के जवाब में इजरायल ने गाजा पट्टी पर हमले किये और गाजा के विभिन्न क्षेत्रों पर इजरायली हवाई हमले जारी हैं।
इजराइल के सार्वजनिक प्रसारक कान ने बताया कि हमास की ओर से इजरायल पर किए गए हमले में अब तक मरने वालों की संख्या 1,300 से अधिक हो गई है।
उल्लेखनीय है कि हमास से युद्ध के बीच इज़रायल ने साफ कर दिया था कि जब तक उसके सभी बंधकों को नहीं छोड़ा जाता, तब तक गाजा पट्टी को कोई मानवीय राहत नहीं मुहैया कराई जाएगी। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी रेड क्रॉस ने गाजा पट्टी में अस्पतालों के बुरे हाल को देखते हुए इज़रायल से नरम रुख की गुजारिश की थी। लेकिन इज़रायल ने किसी भी तरह की मदद से साफ इनकार कर दिया।