ओंकार समाचार
कोलकाता, 1 जनवरी। दिव्यांगों की सेवा करना ईश्वर पूजा के समान है।मेरे गुरुदेव स्वामी अखंडानंद सरस्वती महाराज का कहना था ,यदि नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते -करते सात्विक आनंद का अनुभव होने लगे ,वही ब्रह्मानंद है। स्वामी विवेकानंद का कहना है नर सेवा नारायण सेवा है।
हनुमान जी जैसा कोई सेवक नहीं। हनुमान जी ने सेवा के लिए दो बात बताई है। पहला जब सेवा करने का अवसर मिले तो समझना चाहिए कि भगवान ने उन्हें सेवा के लिए चुना है।इसके लिए भगवान को धन्यवाद देना चाहिए।
दूसरा,सेवा करते -करते सम्मान-अपमान मिले,इसे प्रभु-कृपा समझना चाहिए। महावीर सेवा सदन जिस तरह दिव्यांगों के लिए सेवा कर रही है,इनके चेहरों पर मुस्कान ला रही है,यही वास्तविक ईश्वर की पूजा है।
ये बातें श्रीशरणम् व महावीर सेवा सदन के तत्वावधान में दिव्यांगों के कृत्रिम अंग वितरण समारोह में महावीर सेवा सदन प्रांगण में कही। इस अवसर पर श्रीशरणम् संस्था के प्राण पुरुष स्वामी गिरीशानंद महाराज ने संस्था की ओर से महावीर सेवा सदन के पदाधिकारियों को लगभग 100 दिव्यांगों के कृत्रिम अंग के लिए आर्थिक सहयोग राशि प्रदान की।
इस अवसर महावीर सेवा सदन के संस्थापक चैयरमैन जेएस मेहता,अध्यक्ष विजय कुमार चोरड़िया, सचिव रणजीत सिंह, मेडिकल निदेशक डा.विनोद कुमार नेवटिया ने संस्था की गतिविधियों को जानकारी दी।कार्यक्रम का संचालन हमीरमल सेठिया ने किया।
इस अवसर श्रीशरणम् के ट्रस्टी अरविंद नेवर,मुरारीलाल दीवान, विनोद माहेश्वरी, राम अवतार केडिया, राजेन्द्र बिहानी, वर्षा अग्रवाल, संदीप अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।