
कोलकाता/नदिया, 07 मई । पाकिस्तान और पीओके में भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत आतंकियों के ठिकानों पर की गई जवाबी कार्रवाई को लेकर देशभर में जहां खुशी की लहर है, वहीं पहलगाम हमले में मारे गए लोगों के परिवारों की भावनाएं कुछ अलग हैं। किसी की आंखों में सुकून है, तो किसी को अब भी न्याय अधूरा लगता है।
22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए कोलकाता के बेहाला निवासी समीर गुहा की पत्नी शबरी ने कहा, “मैं ऑपरेशन सिन्दूर का समर्थन करती हूं लेकिन जब तक पाकिस्तान पूरी तरह आतंकवाद से मुक्त नहीं हो जाता, तब तक न्याय अधूरा रहेगा।” समीर केंद्र सरकार में जूनियर स्टैटिस्टिकल ऑफिसर थे और परिवार के इकलौते कमाऊ सदस्य थे। उनके परिवार पर फ्लैट की ईएमआई और बेटी शुभांगी की पढ़ाई का खर्च भी है।
शबरी ने केंद्र सरकार से समीर की नौकरी उन्हें देने की मांग भी दोहराई। उनका कहना है कि जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। हम यही चाहते हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हों।
वहीं, इस हमले में बलिदान हुए सेना के सूबेदार झंटु अली शेख के परिवार की प्रतिक्रिया भावुक लेकिन संतोषजनक रही। ऑपरेशन सिन्दूर की खबर सुनते ही उनकी पत्नी शहनाज़ परवीन की आंखें भर आईं। टीवी पर विस्फोट के दृश्य देखते हुए उन्होंने कहा, “आख़िरकार जवाब मिला है।”
झंटु के 12 वर्षीय बेटे ने खुद पिता के शव को कंधा देकर कब्र तक पहुंचाया था। आज उसके चेहरे पर भी सुकून और जीत की मुस्कान थी। झंटु के भाई रफीकुल शेख, जो खुद भी सेना में सूबेदार हैं, बोले, “मेरे भाई की शहादत बेकार नहीं गई, यह उसकी जीत है। हम प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के आभारी हैं जिन्होंने देशवासियों की भावनाओं का मान रखा।”