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भोपाल, 18 नवंबर । मध्यप्रदेश में लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों पर एकसाथ मतदान के दौरान मतदाताओं ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया राज्य में 76 फीसदी से ज्यादा मतदान के साथ एक रिकॉर्ड बन गया।
शुक्रवार को हुए मतदान में लगभग पांच करोड़ 60 लाख से अधिक मतदाताओं में से 76.22 प्रतिशत ने वोट डाले। अपवाद स्वरूप कुछेक घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया और दो हजार 533 उम्मीदवारों की किस्मत इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में कैद हो गयी।
राज्य विधानसभा चुनाव के इतिहास में इस बार सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में 75़ 63 प्रतिशत और वर्ष 2013 के चुनाव में 72.69 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। इससे अधिक मतदान राज्य विधानसभा चुनाव में कभी नहीं हुआ। सख्त सुरक्षा प्रबंधों के बीच मतदान सुबह सात बजे 64,626 मतदान केंद्रों पर प्रारंभ हुआ, जो शाम छह बजे तक चला। हालाकि बालाघाट, मंडला और डिंडोरी जिले के नक्सली प्रभावित क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर मतदान दिन में तीन बजे समाप्त हो गया। मतों की गिनती का कार्य तीन दिसंबर को होगा।
विभिन्न अंचलों से मिली सूचनाओं के अनुसार चंबल अंचल के भिंड और मुरैना जिले में एक दो झड़पों के अलावा मतदान शांतिपूर्ण ढंग से हुआ। झड़प वाले स्थानों पर पुलिस और प्रशासन ने भी तत्काल कार्रवाई की और मतदान जारी रखवाया। नक्सली प्रभावित इलाकों समेत राज्य के शेष जिलों में मतदान निर्विघ्न रूप से संपन्न हुआ। मतदान की गति शुरूआती दो घंटों में अपेक्षाकृत कम नजर आयी, लेकिन बाद में घंटों में इसने गति पकड़ ली। हालाकि भोपाल 66 प्रतिशत, इंदौर 70, ग्वालियर 67 प्रतिशत और जबलपुर 74 प्रतिशत जैसे बड़े शहरों के जिलों में अपेक्षाकृत कम मतदान दर्ज हुआ है। वहीं मालवा और निमाड़ के कुछ जिलों में मतदान 80 प्रतिशत के आकड़ों तक पहुंचा है।
कुल मतदान केंद्रों में से “क्रिटिकल” मतदान केंद्रों की संख्या 17 हजार 32 रही। कुल एक हजार 316 “वल्नरेबल” क्षेत्र चिंहित किए गए थे और ऐसे क्षेत्रों पर विशेष निगरानी रखने के लिए सेक्टर अधिकारियों की नियुक्ति की गयी थी। निष्पक्ष और शांतिपूर्ण ढंग से मतदान संपन्न कराने के लिए राज्य पुलिस बल के अधिकारियों और जवानों के अलावा रिजर्व पुलिस बल को तैनात किया गया। “नॉन फोर्स मेजर” के तहत कुल 42 हजार से अधिक मतदान केंद्रों पर वेबकॉस्टिंग और सीसीटीवी के माध्यम से निगरानी की गयी।
राज्य में सोलहवीं विधानसभा के गठन के लिए हो रहे चुनाव में कुल 2533 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 2280 पुरुष, 252 महिलाएं और एक अन्य (थर्ड जेंडर) प्रत्याशी शामिल हैं। मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान बुधनी से, पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा से और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दिमनी से, प्रहलाद पटेल नरसिंहपुर से और फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला जिले के निवास से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इसके अलावा भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय इंदौर एक क्षेत्र से तथा चार सांसद, राज्य सरकार के दो दर्जन से अधिक मंत्री और अन्य प्रमुख नेताओं की किस्मत भी मतदान के बाद ईवीएम में कैद हो गयी।
कुल 2533 प्रत्याशियों में भाजपा और कांग्रेस के 230-230 के अलावा बसपा के 181, सपा के 71 और 1166 निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं। मतदाताओं की कुल संख्या पांच करोड़ 60 लाख 58 हजार से अधिक है, जिसमें दो करोड़ 87 लाख 82 हजार से ज्यादा पुरुष और दो करोड़ 71 लाख, 99 हजार से ज्यादा महिलाएं शामिल हैं। अन्य मतदाता यानी थर्ड जेंडर की संख्या 1292 है।
राज्य में पंद्रहवीं विधानसभा के गठन के लिए वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में किसी भी दल काे स्पष्ट बहुमत (116 सीट) नहीं मिला था। उस समय कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी और उसने अन्य दलों के साथ मिलकर दिसंबर 2018 में सरकार बनायी थी। भाजपा को 109 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। इसके अलावा चार निर्दलीयों के साथ ही बसपा के दो और सपा के एक प्रत्याशी ने विजय हासिल की थी।
मार्च 2020 में तत्कालीन कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपने समर्थक विधायकों के साथ दलबदल करने के कारण कांग्रेस सरकार का पतन हो गया था और भाजपा फिर से सत्ता में आ गयी। इसके बाद हुए उपचुनावों के चलते विधानसभा में वर्तमान में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़कर 127 और कांग्रेस सदस्यों की संख्या घटकर 96 हो गयी है। नयी सरकार के गठन को लेकर तस्वीर तीन दिसंबर को मतगणना के साथ स्पष्ट हो जाएगी।