आईओएस सागर की यात्रा नौ मित्र देशों के 44 सदस्यीय चालक दल के लिए यादगार रही

नई दिल्ली, 08 मई । अफ्रीकी देशों में एक महीने की तैनाती के बाद भारतीय जहाज ‘सुनयना’ गुरुवार को कोच्चि लौट आया है। भारतीय नौसेना आईओआर देशों के साथ समुद्री बंधन, क्षमता निर्माण और स्थायी साझेदारी को मजबूत कर रही है। दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल वी श्रीनिवास ने नौसेना बेस में स्वागत करके जहाज पर सवार नौ मित्र देशों के चालक दल को बधाई दी।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईओएस सागर को 05 अप्रैल को कारवार से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था। एक माह की यात्रा के दौरान जहाज ने दार-एस-सलाम, नकाला, पोर्ट लुइस, पोर्ट विक्टोरिया और माले में बंदरगाहों का दौरा किया। इस दौरान मित्र देशों के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास, पेशेवर और सांस्कृतिक आदान-प्रदान और तंजानिया, मोजाम्बिक, मॉरीशस और सेशेल्स के संयुक्त ईईजेड निगरानी शामिल थे। भारत और अफ्रीकी देशों के बीच क्षेत्रीय समुद्री सहयोग को मजबूत करते हुए जहाज ने आईएनएस चेन्नई और आईएनएस केसरी के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास एआईकेईवाईएमई में भाग लिया, जिसकी मेजबानी भारत और तंजानिया ने 13 से 18 अप्रैल तक संयुक्त रूप से की थी।

मोजाम्बिक में मोजाम्बिक नौसेना के साथ परिचालन तालमेल और अंतर-संचालन को बढ़ावा देने के लिए कई सहयोगी गतिविधियां और सामुदायिक सहभागिता आयोजित की गईं। भारत और मॉरीशस के बीच स्थायी संबंधों को मजबूत करते हुए आईओएस सागर के चालक दल ने मॉरीशस तटरक्षक के साथ समन्वित गश्त की। पोर्ट विक्टोरिया, सेशेल्स की यात्रा क्रॉस डेक विज़िट, प्रशिक्षण आदान-प्रदान, संयुक्त योग सत्र और सेशेल्स रक्षा बल के साथ समुद्री जुड़ाव के साथ चिन्हित की गई। कोच्चि में प्रवेश करने से पहले जहाज ने मालदीव में सहयोगी समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय आउटरीच मिशन का आयोजन किया।

यात्रा के दौरान नौ भागीदार देशों- कोमोरोस, केन्या, मेडागास्कर, मालदीव, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स, सिलंका और तंजानिया के 44 सदस्यीय चालक दल के लिए अनूठा अनुभव था, जिन्होंने भारतीय नौसेना के चालक दल के साथ मिलकर जहाज का संचालन किया।आईओएस सागर की यात्रा सभी चालक दल के सदस्यों के लिए वास्तव में यादगार रही है। सागर मिशन समुद्री पड़ोसियों के साथ भारत की निरंतर भागीदारी की पुष्टि करता है, जिससे मजबूत संबंध बनाने और अधिक सुरक्षित, अधिक समावेशी और सुरक्षित आईओआर की दिशा में काम किया जा सके।