कोलकाता, 07 जनवरी । गंगासागर मेले की व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए गई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने  इसे राष्ट्रीय मेला घोषित करने की इच्छा जताई। भारत सेवाश्रम संघ में  उन्होंने कहा कि अगर मुझे या मेरी पार्टी के किसी अन्य व्यक्ति को मौका मिला, तो गंगासागर को राष्ट्रीय मेले का दर्जा जरूर देंगे। यह न करना बंगाल के साथ अन्याय होगा।

उनका यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि किसी भी राज्य के आयोजन को राष्ट्रीय आयोजन घोषित करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के प्रमुख प्रधानमंत्री को होता है। इसलिए इस बात के दावे किए जा रहे हैं कि इस बयान के जरिए ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा जाहिर की है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ममता बनर्जी का यह बयान न केवल बंगाल के लिए उनके विज़न को दर्शाता है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में उनकी महत्वाकांक्षा को भी उजागर करता है।

बुधवार से शुरू हो रहे गंगासागर मेले में हर साल हजारों तीर्थयात्री आते हैं। लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इसे राष्ट्रीय मेला घोषित नहीं किया है। ममता ने कहा कि कुंभ मेले के लिए केंद्र सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है। हम कुंभ मेले का सम्मान करते हैं, लेकिन गंगासागर मेला उससे कम नहीं है। यहां पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को नदी पार करके कष्ट उठाना पड़ता है। बंगाल के साथ यह भेदभाव क्यों?

मुख्यमंत्री ने गंगासागर मेले को लेकर राज्य सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए बताया कि यहां अस्पताल, जेटी, हेलीपैड जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं। इसके अलावा मुरिगंगा नदी पर लगभग चार-पांच किलोमीटर लंबा पुल बनाया जा रहा है, जिसकी लागत लगभग एक हजार 500 करोड़ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इस पुल के लिए कोई मदद नहीं की। राज्य सरकार ने पहल करते हुए इसका सर्वेक्षण और टेंडर पूरा कर लिया है। यह पुल अगले दो तीन वर्षों में बनकर तैयार हो जाएगा।