
कोलकाता, 11 अप्रैल । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रेड रोड पर हनुमान जयंती मनाने की अनुमति नहीं दी। सुदीप कुमार राम ने शनिवार को रेड रोड पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शुक्रवार को न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने उच्च न्यायालय में दायर याचिका को खारिज कर दिया। इसके बाद भाजपा ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को खंडपीठ द्वारा की जाएगी।
भाजपा ने 12 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर दोपहर एक बजे से शाम पांच बजे तक रेड रोड पर जुलूस निकालने की योजना बनाई थी। लेकिन पुलिस ने कथित तौर पर यातायात जाम का हवाला देते हुए जुलूस की अनुमति नहीं दी। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उनका तर्क है कि वहां साल भर विभिन्न धार्मिक समारोह आयोजित होते रहते हैं। लेकिन उन्हें सिर्फ तीन घंटे तक शोभायात्रा करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
इस संबंध में न्यायमूर्ति घोष ने शुक्रवार को अदालत को बताया कि जुलूस की अनुमति नहीं दी जा सकती। यातायात जाम के डर से उस क्षेत्र में जुलूस आयोजित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, अदालत ने आगे कहा कि यह कहने में कोई तर्क नहीं है कि सिर्फ इसलिए कि अन्य धर्मों के लोगों को उस स्थान पर समारोह आयोजित करने की अनुमति है, उन्हें हनुमान जयंती पर भी समारोह आयोजित करना चाहिए। उस क्षेत्र में कई वर्षों से ईद की नमाज अदा की जाती रही है। यह सदियों पुराना धार्मिक समारोह वहां खिलाफत आंदोलन के समय से चल रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार की पहल पर हर साल वहां कार्निवल का आयोजन किया जाता है। हालांकि, हनुमान जयंती पहले कभी नहीं मनाई गई। इसलिए वहां जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि वहां ईद का जश्न 100 वर्षों से मनाया जा रहा है। हमें अपना इतिहास दिखाएं! इसके तुरंत बाद, भाजपा ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी ने घोषणा की थी कि रामनवमी की तरह इस बार भी हनुमान जयंती पर राज्य में जुलूस निकाला जाएगा। तदनुसार, तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। हालांकि, हाई कोर्ट के फैसले के बाद रेड रोड कार्यक्रम सवालों के घेरे में आ गया है। इससे पहले, भाजपा ने रामनवमी पर हावड़ा में दोहरा जुलूस निकालने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। वह मामला भी न्यायमूर्ति घोष की अदालत में दायर किया गया था। आरोप है कि पुलिस ने उनके जुलूस की अनुमति नहीं दी। बाद में उच्च न्यायालय ने दोनों जुलूसों को सशर्त मंजूरी दे दी थी।