गिरिडीह, 8 अगस्त । हिन्दू धर्म ग्रन्थों में सृष्टि के रचनाकार आदिदेव महादेव सर्व शक्तिमान के रूप में वंदनीय हैं। शिव ही जगत के अर्जक – पालक और संहारक हैं। यही कारण है कि देश भर में द्वादश ज्योतिर्लिंगों के अलावा गांव – गांव में शिवालय स्थित हैं। सभी शिव मंदिरों की अपनी विशेषताएं हैं जिसपर भक्तों की अटूट आस्था और विश्वास जुडा है।

झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित हरिहर धाम भक्ति और पर्यटन का संगम है। जहां लोग अपने बेटे-बेटियों के सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए इस मंदिर में परिणय करने की अभिलाषा रखते हैं।

गिरिडीह जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर बगोदर अंचल में श्री हरीहर धाम मंदिर स्थित है। जिसके शिवलिंग आकृति के गुंबज की ऊंचाई 65 फिट है। मंदिर के गर्भगृह में शिव परिवार और अन्य देवी – देवताओं की प्रतिमा स्थापित है।

स्थानीय जमुनिया नदी तट के समीप 25 एकड़ में फैले मंदिर की भव्यता का अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है कि इसके निर्माण में 30 वर्ष का लम्बा समय लगा। मंदिर का निर्माण कोलकाता हार्डकोर्ट के जज रहे अमरनाथ मुखोयाध्याय ने कराया था।

देश के पूर्वी क्षेत्र में हरिहर धाम शादियों के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड , बिहार, बंगाल, ओड़िसा, छत्तीसगढ़, हरियाणा, यूपी सहित अन्य प्रदेशों से लोग अपने बच्चों की शादी करने हरिहर धाम आते हैं। मान्यता है कि जिन लड़के – लड़कियों के विवाह में रुकावटें आती हैं भगवान शिव के इस धाम में महज हाजिरी लगाने के आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग से सटे इस धाम के आस-पास कई अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होटल – रेस्ट हाउस उपलब्ध हैं। पवित्र श्रावण मास और महा शिवरात्रि के अवसर पर इस धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।