नयी दिल्ली 17 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक मामलों के समाधान में संयुक्त राष्ट्र की विफलता की ओर इशारा करते हुए विश्व समुदाय को संदेश दिया कि ग्लोबल साउथ के 130 से अधिक देश अब वैश्विक मामलों एवं वैश्विक शासन में अपनी हिस्सेदारी एवं आवाज़ को बुलंद करना चाहते हैं।
मोदी ने दूसरे ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए आज कहा, “मुझे खुशी है कि आज पूरे दिन चले इस समिट में, लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों से लेकर अफ्रिका, एशिया और पैसेफिक आईलैंड से करीब 130 देशों ने भाग लिया है।”
उन्होंने कहा कि एक साल के भीतर ग्लोबल साउथ के दो शिखर सम्मेलनों का होना और उसमें बड़ी संख्या में आप सभी का जुड़ना, दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा संदेश है। यह संदेश है कि ग्लोबल साउथ अपनी स्वायत्तता और वैश्विक शासन में अपनी आवाज बुलंद करना चाहता है तथा वैश्विक मामलों में बड़ी जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि आज इस सम्मेलन ने हमें एक बार फिर अपनी साझा अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर चर्चा करने का अवसर दिया है। भारत को गर्व है की हमें जी-20जैसे महत्वपूर्ण फोरम में ग्लोबल साउथ की आवाज को एजेंडा पर रखने का अवसर मिला। इसका श्रेय आप सभीके मजबूत समर्थन और भारत के प्रति आपके दृढ़ विश्वास को जाता है।
मोदी ने इसके लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि जो आवाज जी-20 शिखर सम्मेलन में बुलंद हुई है, उसकी गूंज आने वाले समय में, अन्य वैश्विक मंचों पर भी ऐसे ही सुनाई देती रहेगी।”
मोदी ने कहा कि उन्होंने पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में कुछ प्रतिबद्धताओं के बारे में बात की थी। यह खुशी की बात है कि हमने उनमें से प्रत्येक पर प्रगति की है। आज सुबह ग्लोबल साउथ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का शुभारंभ किया गया। यह केंद्र विकासशील देशों के विकासात्मक मुद्दों से संबंधित अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस पहल के माध्यम से ग्लोबल साउथ में समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजा जाएगा।
उन्होंने कहा कि आरोग्य मैत्री पहल के अंतर्गत, भारत मानवीय सहायता के लिए आवश्यक दवाइयों और आपूर्तियों की डिलीवरी के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले महीने, हमने फिलिस्तीन को 7 टन दवाइयां और मेडिकल ज़रूरतों के सामान की सहायता दी। गत तीन नवंबर को नेपाल में भूकंप के बाद भारत ने नेपाल को भी, तीन टन से अधिक दवाइयों की सहायता भेजी। भारत को डिजिटल हेल्थ सर्विस डिलीवरी में अपनी क्षमताओं को भी ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने में ख़ुशी होगी।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ छात्रवृत्ति कार्यक्रम शुरू हो गया है। अब ग्लोबल साउथ देशों के छात्रों को भारत में उच्च शिक्षा के अधिक अवसर मिलेंगे। इस वर्ष तंजानिया में भारत का पहला भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिसर खोला गया है। ग्लोबल साउथ में क्षमता निर्माण के लिए यह हमारी नई पहल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले साल से, हम भारत में, एक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत करने का प्रस्ताव रखते हैं। जो ग्लोबल साउथ की विकास प्राथमिकताओं पर केंद्रित होगी। इस सम्मेलन का आयोजन ‘दक्षिण’ सेंटर द्वारा ग्लोबल साउथ के साझीदार शोध केन्द्रों और थिंक-टैंक के साथ किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य होगा कि ग्लोबल साउथ की विकास संबंधी समस्याओं के लिए व्यावहारिक हल की पहचान की जाए जिससे हमारा भविष्य मजबूत बने।
उन्होंने कहा, “वैश्विक शांति और स्थिरता में हमारे साझे हित हैं। पश्चिम एशिया में गंभीर स्थिति पर मैंने आज सुबह अपने विचार साझा किए थे। इन सब संकटों का बड़ा प्रभाव ग्लोबल साउथ पर भी पर पड़ता है। इसलिए जरूरी है कि हम एकजुटता से, एक स्वर में, साझा प्रयासों से इन सभी परिस्थितियों का समाधान खोजें।”
मोदी ने शिखर सम्मेलन में जी-20 के अगले अध्यक्ष, ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला डिसिल्वा की मौजूदगी पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि ब्राज़ील की जी-20 अध्यक्षता में भी ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और हितों को लगातार मजबूत बनाया जाएगा और आगे बढ़ाया जाएगा।”
उल्लेखनीय है कि पहला वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन इस साल 12-13 जनवरी को आयोजित किया गया था जिसकी थीम ‘आवाज़ की एकता, उद्देश्य की एकता’ थी। शिखर सम्मेलन आभासी प्रारूप में आयोजित किया गया, जिसमें कुल 10 सत्र थे। इसमें ग्लोबल साउथ (भारत सहित) के 125 देशों के नेताओं और मंत्रियों ने भागीदारी की थी।
दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन में कुल 10 सत्र आयोजित किये गये। सुबह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नेताओं के उद्घाटन सत्र के साथ शिखर सम्मेलन की शुरुआत हुई। उसके बाद 8 मंत्रिस्तरीय सत्र, जिसमें 2 विदेश मंत्रियों के सत्र, शिक्षा, वित्त, पर्यावरण, ऊर्जा, स्वास्थ्य और वाणिज्य मंत्रियों का एक-एक मंत्रिस्तरीय सत्र शामिल थे। शाम को नेताओं यानी शासनाध्यक्षों या राष्ट्राध्यक्षों का समापन सत्र आयोजित किया गया।
पूर्व में प्रशांत द्वीप समूह से लेकर पश्चिम में लैटिन अमेरिका तक, दुनिया भर के करीब 130 देशों ने भाग लिया। इसका मुख्य फोकस भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान ग्लोबल साउथ की चिंताओं/प्राथमिकताओं में प्राप्त लाभकारी परिणामों और प्रगति को साझा करना तथा वैश्विक दक्षिण के लिए आगे बढ़ने के रास्ते पर भी विचार-विमर्श करना- सामान्य उद्देश्यों को प्राप्त करना था। जबकि पहले शिखर सम्मेलन में भारत की अध्यक्षता में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन के एजेंडे के लिए ग्लोबल साउथ से इनपुट मांगा गया था।