काठमांडू, 02 अप्रैल। नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल प्रचण्ड ने गठबंधन में बदलाव कर अपनी सरकार तो बचा ली है लेकिन नया संकट गहरा गया है। गठबंधन में शामिल दलों में प्रदेशों की सत्ता में भागीदारी को लेकर आपस में विवाद गहराता जा रहा है।

अपनी सरकार बचाने के लिए प्रधानमंत्री प्रचण्ड को नए गठबंधन से हाथ मिलाना भारी पड़ रहा है। अब यही दल समझौता मानने से पीछे हट रहे हैं। इन पार्टियों के मुख्यमंत्री भी समझौता मानने से इनकार कर रहे हैं।नेकपा एमाले को तीन प्रदेशों में और एकीकृत समाजवादी पार्टी को एक प्रदेश में मुख्यमंत्री देने पर सहमति हुई थी। प्रचण्ड की पार्टी के मुख्यमंत्री एमाले को सत्ता का नेतृत्व हस्तांतरण करने से इनकार कर रहे हैं। एक प्रदेश में एमाले को धोखा मिलने के बाद अब दूसरे प्रदेश में भी माओवादी के मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बजाए विपक्षी पार्टी के समर्थन से सरकार बचाने में लगे हुए हैं।

सोमवार को बागमती प्रदेश के मुख्यमंत्री शालिकराम जमकट्टेल ने एमाले को सत्ता सौंपने के बजाए खुद के ही नेतृत्व में एक बार फिर विश्वास मत हासिल कर लिया।अंतिम समय में दो विधायकों की एक पार्टी के एक विधायक को मंत्री बनाकर बहुमत के लिए आवश्यक 56 विधायक के समर्थन के साथ सरकार बचा ली। इस पर एकीकृत समाजवादी के अध्यक्ष माधव नेपाल ने चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि इसका असर प्रचण्ड सरकार पर भी पड़ सकता है। हालांकि देरशाम तक प्रचण्ड ने एकीकृत समाजवादी पार्टी को सुदूर-पश्चिम प्रदेश की सरकार का नेतृत्व देने पर मना लिया है।

प्रचण्ड की मान मनौव्वल के बावजूद मंगलवार को कर्णाली प्रदेश के मुख्यमंत्री राजकुमार शर्मा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया। माओवादी पार्टी ने मुख्यमंत्री शर्मा को आज ही पद छोड़कर नेकपा एमाले को मुख्यमंत्री पद देने का निर्देश दिया गया था। शर्मा ने कहा कि वह पद से इस्तीफा देने के बजाय सदन में बहुमत साबित करेंगे। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री शर्मा विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के साथ समर्थन देने को लेकर बातचीत कर रहे हैं। अगर कर्णाली में भी मुख्यमंत्री शर्मा को बहुमत मिल गया तो इसका असर केन्द्र की गठबन्धन सरकार पर पड़ सकता है।