ओरिजनल आईडी भी अनिवार्य
-चल-फिर नहीं सकने वाले कैसे लेने पहुंचेंगे दवा

-कौशल मूंदड़ा-

उदयपुर, 3 दिसम्बर। राजस्थान सरकार ने एक दिसम्बर से आरजीएचएस धारक सभी सरकारी कर्मचारियों और सेवानिवृत्तों के लिए आउटडोर, इनडोर और डेकेयर में मरीज का ओरिजनल आईडी, फिंगर प्रिंट और लाइव फोटो अनिवार्य कर दिया गया है। लेकिन, इस नई व्यवस्था ने बुजुर्गों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। जिन बुजुर्गों को नियमित रूप से दवा लेनी होती है और वे ज्यादा चल-फिर नहीं सकते, वे किस तरह अस्पताल में उपस्थिति दे पाएंगे, इसकी चिंता हो गई है।

नई व्यवस्था उदयपुर के राजकीय एमबी अस्पताल, सेटेलाइट अस्पतालों और निजी अस्पतालों में लागू होना शुरू हो गई है। यह व्यवस्था अभी एक दिसम्बर से ही लागू हुई है और इसके नकारात्मक प्रभाव तीन दिन में ही नजर आने लगे हैं। बड़े सरकारी अस्पतालों में एक तो लाइन में लगना और फिर फिंगरप्रिंट या चेहरा नहीं आए तो मुसीबत, ऐसे में बुजुर्ग कहने लगे हैं कि इस सरकार को बुजुर्गों से ऐसी क्या परेशानी हुई कि यह व्यवस्था लागू की। यह तो जो चल-फिर पा रहे हैं, वे अस्पताल पहुंच भी जाएंगे, लेकिन जो चल-फिर ही नहीं सकते, जिनके बच्चे उनकी दवा लेने अस्पताल पहुंचते हैं, उनका क्या होगा।

कुछ की सजा सबको क्यों

-बताया जा रहा है कि राजस्थान में पिछले समय में उजागर हुए आरजीएचएस से दवा घोटाले के चलते सरकार ने यह व्यवस्था लागू की है। बुजुर्गों का कहना है कि एक क्षेत्र में घोटाला हुआ तो सजा पूरे राजस्थान के बुजुर्गों को दी जा रही है।

अब डिस्पेंसरी पर बढ़ेगी भीड़

-जानकारों का कहना है कि यह व्यवस्था बड़े स्तर के अस्पतालों यानी मेडिकल कॉलेज, सेटेलाइट में लागू की जा रही है। पीएचसी-सीएचसी पर सिस्टम आने में समय लगेगा। ऐसे में नियमित दवा की जरूरत वाले आरजीएचएस धारकों की भीड़ छोटी डिस्पेंसरीज की ओर मुड़ेगी। वहां झगड़ा इस बात का होगा कि वहां के चिकित्सक वही दवा लिख पाएंगे जिसका उन्हें पावर है और जरूरतमंद अपनी नियमित चल रही दवा लिखने की जिद करेंगे।

पेंशनर समाज ने भी जताई नाराजगी

-राजस्थान पेंशनर समाज के अध्यक्ष भंवर सेठ ने भी इस व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह आदेश अति वृद्ध, असहाय, लकवा ग्रस्त और गंभीर बीमारियों से पीड़ित पेंशनर्स के लिए बड़ी परेशानी बन गया है। अकेले रहने वाले और चल-फिर नहीं सकने वाले पेंशनर्स के लिए यह व्यवस्था मर्ज को और बढ़ाने जैसी है।

होम डिलीवरी नहीं चली, अब इसका विकल्प क्या

-चल-फिर नहीं सकने वाले बुजुर्गों के लिए सरकार ने होम डिलीवरी की भी बात कही थी, लेकिन वह व्यवस्था तो शुरू होने से पहले ही ठप हो गई। अब यदि इस नई व्यवस्था में गंभीर बीमारी से ग्रस्त आरजीएचएस धारक को समय पर दवा उपलब्ध नहीं होती तब किसी भी तरह की अनहोनी की जिम्मेदारी किसकी होगी? बुजुर्गों ने सरकार से स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले में गहन सोच-विचार कर व्यवस्था सहज करने की मांग की है।