कोलकाता, 14 अक्टूबर। कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार से सात अक्टूबर को बीरभूम जिले की एक निजी कोयला खदान में हुए विस्फोट पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें सात मजदूरों की मौत हो गई थी।
न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने राज्य सरकार से घटना की विस्तृत जानकारी, विस्फोट के कारणों और जिम्मेदार पक्षों के बारे में रिपोर्ट जमा करने को कहा है। यह घटना खयरासोल स्थित गंगारामचक माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड (जीएमपीएल) की खदान में हुई थी।
अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि यदि संभव हो तो फोरेंसिक रिपोर्ट भी पेश की जाए। मामले की अगली सुनवाई पांच नवंबर को होगी, जिसमें सरकार को अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी।
इस घटना के बाद राज्य सरकार ने प्रत्येक मृतक के परिवार को 30 लाख रुपये मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है।
जांच में अब तक सामने आया है कि कोयला उत्खनन के लिए जरूरी विस्फोटकों का उपयोग लापरवाही से किया गया था और सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया गया, जिसके कारण यह हादसा हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विस्फोट इतना भीषण था कि कुछ मजदूरों के शव टुकड़ों में बिखर गए। सात अक्टूबर की दोपहर हुए इस विस्फोट के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया, और स्थानीय लोगों ने खदान के वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे घटना के बाद बिना कोई जिम्मेदारी लिए मौके से फरार हो गए।
इस मामले को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति विवास पटनायक की पीठ के समक्ष जनहित याचिका दायर की गई थी। लेकिन अवकाश के कारण नियमित पीठ उपलब्ध न होने के चलते मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर न्यायमूर्ति घोष की अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।