कोलकाता, 16 अगस्त। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर शब्दाक्षर की मथुरा जिला इकाई के तत्वावधान में सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया। जिसका उनवान था ‘शब्दाक्षर ब्रज की शाम, देश के नाम’। गोष्ठी में आज़ादी से ओतप्रोत देश भक्ति की रचनाओं बयार बही। कवियों की भावनाओं में देश भक्ति का ज्वार चरम पर था। कवि आचार्य निर्मल ने कहा,
‘हर घर पे तिरंगा है घर घर पे तिरंगा है।
अमृत महोत्सव का गुण गान तिरंगा है।।
ओज कवि बृजेंद्र प्रताप ने अपनी ओजपूर्ण वाणी से काव्य की बौछार की,
‘अब अपने कंधों पर सेवा का भार उठा लेना
और मुल्क की रक्षा की खातिर हथियार उठा लेना’
कवि रवेन्द्र पाल ‘रसिक’ ने सीमा पर तैनात सैनिक के घर की व्यथा का चित्रण करते हुए कहा,
‘एक एक कर गुजर रहे हैं सारे ही त्यौहार माँ।
छुट्टी लेकर कब आयेंगे पापा अबकी बार मां’।।
डॉ.नीतू गोस्वामी ने माँ भारती का आह्वान करते हुए कहा,
माँ भारती की आरती उतारे चलिए।
जिन चरणों में रहते हो पखारे चलिए।।
कवयित्री रेनू उपाध्याय ने आज़ादी के परिप्रेक्ष्य में उन शहीदों के बलिदानों को याद करते हुए कहा,
‘देश धर्म रक्षा के हित वीरों ने शीश कटाया है।
आज़ादी का अमृत हमने संघर्षों से पाया है।।
अन्त में ‘ बेखुद ‘ योगेश ब्रजवासी ने आज़ादी का महत्व आने वाली पीढ़ी को बताते हुए पंक्तियां कहीं-
आज़ादी का मोल समझने हमें अतीत में जाना होगा।
सहज नहीं मिली आज़ादी बच्चों को बतलाना होगा।।
बुजुर्गों ने बचपन में हमें कहानी सुनाई थी।
असंख्य जानें गंवाकर हमने आज़ादी पाई थी।।
गोष्ठी की अध्यक्षता गोपाल उपाध्याय गोप ने की और संचालन कृष्ण चंद्र ब्रजवासी ने किया। गोष्ठी का आयोजन शब्दाक्षर मथुरा के जिलाध्यक्ष ‘ बेखुद ‘ योगेश ब्रजवासी ने किया।