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मार्च माह तक चलने वाला नौसैनिक अभ्यास बंदरगाह और समुद्र चरणों में होगा
नई दिल्ली, 07 फरवरी । हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में परिचालन तत्परता की जांच करने के लिए भारत इस समय लगभग 65 युद्धपोतों, 9 पनडुब्बियों और 80 से अधिक विमानों के साथ नौसैनिक युद्ध अभ्यास ‘ट्रोपेक्स’ कर रहा है। थिएटर स्तरीय परिचालन तत्परता अभ्यास में भारतीय नौसेना की सभी परिचालन इकाइयों के साथ-साथ भारतीय सेना, भारतीय वायुसेना और तटरक्षक बल भी हिस्सा ले रहे हैं। मार्च तक चलने वाला ट्रोपेक्स अभ्यास बंदरगाह और समुद्र चरणों में होगा।
भारतीय नौसेना के मुताबिक परिचालन स्तरीय इस द्विवार्षिक अभ्यास का उद्देश्य भारतीय नौसेना के मुख्य युद्ध कौशल को मान्य करना और खतरों के खिलाफ समुद्री वातावरण में राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा हितों को संरक्षित करने के लिए समन्वित, एकीकृत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है। मार्च तक चलने वाला ट्रोपेक्स अभ्यास बंदरगाह और समुद्र चरणों में होगा, जिसमें युद्ध संचालन, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध संचालन, संयुक्त कार्य चरण और उभयचर अभ्यास (एम्फेक्स) के दौरान लाइव हथियार फायरिंग के विभिन्न पहलुओं को एकीकृत किया जा रहा है।
अभ्यास के दौरान भारतीय नौसेना के 65 जहाजों, 09 पनडुब्बियों और विभिन्न प्रकार के 80 से अधिक विमानों वाले संयुक्त बेड़े को जटिल समुद्री परिचालन परिदृश्यों से गुजरना पड़ा, ताकि नौसेना की संचालन अवधारणा को मान्य किया जा सके। इसमें आगे की तैनाती और अन्य सेवाओं के साथ अंतर-संचालन शामिल है। ट्रोपेक्स में स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत, अत्याधुनिक युद्धपोत विशाखापत्तनम और कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां और मिग-29के, पी-8आई, हेल सी गार्जियन और एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों से युक्त विमान बेड़े की भागीदारी देखी जा रही है।
अभ्यास में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बढ़ाने के लिहाज से भारतीय वायुसेना, भारतीय तटरक्षक बल और सुखोई-30, जगुआर, सी-130, फ्लाइट रिफ्यूलर, एडब्लूएसीएस विमान, 600 से अधिक सैनिकों वाली एक इन्फैंट्री ब्रिगेड और 10 से अधिक आईसीजी जहाज और विमान इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में अपने दायरे और जटिलता में वृद्धि करते हुए ट्रोपेक्स अभ्यास समन्वित योजना, सटीक लक्ष्यीकरण, युद्ध प्रभावशीलता और गतिशील वातावरण में विश्वसनीय संयुक्त संचालन की दिशा में एक कदम आगे है, जो किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी तरह से भारत के राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा करने की दिशा में अच्छी पहल है।