नईदिल्ली 13 नवंबर। भारत सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाले शहरी बुनियादी ढांचे के निर्माण, सेवा वितरण में सुधार और कुशल शासन प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए अपने शहरी सुधार एजेंडे को गति देने के लिए एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के साथ 40 करोड़ डॉलर के ऋण का करार किया है।
वित्त मंत्रालय ने सोमवार को यहां यह जानकारी देते हुये कहा कि सतत शहरी विकास और सेवा वितरण कार्यक्रम के उप-कार्यक्रम 2 के लिए ऋण समझौते पर आर्थिक मामलों की संयुक्त सचिव जूही मुखर्जी और एडीबी के भारत में कंट्री निदेशक ताकेओ कोनिशी ने हस्ताक्षर किये।
उप-कार्यक्रम 1 को 35 करोड़ डॉलर के वित्तपोषण के साथ शहरी सेवाओं में सुधार के लिए राष्ट्रीय स्तर की नीतियों और दिशानिर्देशों के साथ 2021 में मंजूरी दी गई, उप-कार्यक्रम 2 राज्य और शहरी स्थानीय निकाय स्तरों पर निवेश योजना और सुधार कार्यों का समर्थन कर रहा है।
कार्यक्रम में शहरी विस्तार को नियंत्रित करने और यूएलबी की क्षमता निर्माण और सामुदायिक जागरूकता के साथ-साथ कानूनी, नियामक और संस्थागत सुधारों के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के माध्यम से प्रणालीगत और नियोजित शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत शहरी नियोजन सुधारों की भी परिकल्पना की गई है। विशेष रूप से, यूएलबी शहरों को आर्थिक विकास के सुनियोजित केंद्र बनने में मदद करने के लिए पारगमन-उन्मुख विकास के माध्यम से भवन उपनियमों, भूमि पूलिंग, शहरी समूह और व्यापक शहरी गतिशीलता योजना के आधुनिकीकरण को बढ़ावा देंगे। ऐसी एकीकृत नियोजन प्रक्रियाएं जलवायु और आपदा लचीलेपन को शामिल करेंगी, प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देंगी, शहरी पर्यावरण में सुधार करेंगी और अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करके शहरों की वित्तीय स्थिरता में सुधार करेंगी।
इसके अलावा, शहरों को संपत्ति कर और उपयोगकर्ता शुल्क जैसे अपने राजस्व को बढ़ाने, उनकी दक्षता में सुधार करने और उनके व्यय को तर्कसंगत बनाने के लिए विभिन्न सुधारों के माध्यम से क्रेडिट योग्य बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे शहरों को शहरी बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण घाटे को पाटने के लिए वाणिज्यिक उधार, नगरपालिका बांड जारी करने, उप-संप्रभु ऋण और सार्वजनिक-निजी भागीदारी जैसे अभिनव वित्तपोषण जुटाने में काफी मदद मिलेगी।