उदयपुर, 05 जनवरी। आनंदम धाम पीठ के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने कहा है कि पीएम मोदी की उम्र संन्यास की राह पर है। मोदी को दुनिया में किसी की भी पूजा करने का पूर्ण अधिकार है। महाराज ने कहा कि जो लोग मंदिर ही नहीं बनने देना चाहते, वे भी ज्ञान दे रहे हैं।
अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन पर पीएम मोदी को बुलाने और बिना पत्नी के पूजा में बैठने पर सवाल उठाने वालों पर जवाबी हमला करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन शास्त्रों में चार आश्रम, ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, संन्यास और वानप्रस्थ बताए गए हैं। मोदी अभी संन्यास आश्रम की वय में चल रहे हैं। उन्हें किसी की भी पूजा करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जो विवाह नहीं करते, वह भी तो पूजा करते हैं।
अपने तीन दिवसीय प्रवास के तहत विभिन्न कार्यक्रमों में सनातन और उसके महत्व की चर्चा करते हुए महाराज ने कहा कि हिंसा से दूर रहने वाले को हिंदू कहते हैं। हिंदू शब्द के हजारों अर्थ हैं। इस पर बहस नहीं होनी चाहिए। जो आत्मिक आनंद चाहता है, वह सनातनी है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व जीवन जीने की पद्धति है, इसमें कोई विवाद नहीं है। विवाद तो राजनीति में है और हमारे दिमाग में है। उन्होंने कहा कि देश में पूर्व में जो गलतियां हुई, उसकी निंदा होनी चाहिए।
महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति में वृद्धाश्रम का नाम ही नहीं था, लेकिन देश बदला तो यह सब हुआ। हमारे बच्चों ने कौन सी पढ़ाई कर ली जो वे माता-पिता को साथ नहीं रख पा रहे हैं और उनको ओल्ड एज होम भेज रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब कुशिक्षा की वजह से हुआ है।
रितेश्वर महाराज ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) खतरनाक है, लेकिन ये हमसे ज्यादा खतरनाक कैसे हो सकता है, क्योंकि बनाया तो हमने है। उन्होंने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन उस पर नियंत्रण हमें ही करना होगा। व्यक्ति को यह ध्यान रखना होगा कि एआई हमारे पर हावी नहीं हो, इसके लिए कंट्रोल जरूर हो।
आयोजन समिति के सदस्य डॉ. विक्रम मेनारिया ने बताया कि शुक्रवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में महाराज का प्राकट्योत्सव कार्यक्रम मनाया गया। इससे पूर्व, दोपहर में विवेकानंद तिराहे से शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा गुरुदेव का स्वागत व अभिनन्दन किया गया। प्राकट्योत्सव में नृत्य नाटिका एवं राव अजातशत्रु का काव्य पाठ हुआ। हेमांग जोशी ने भजन की प्रस्तुति दी।
गुरुदेव रितेश्वर महाराज ने अपने प्रबोधन में कहा कि जीवन में जोश सब कुछ नहीं होता आत्मबोध व अन्तरूजागरण परम आवश्यक है। उन्होंने अहंकार का परित्याग करके और मैं से मुक्त होने का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि घृणा बुरे विचारों से होनी चाहिए। गुरुदेव ने छत्रपति शिवाजी के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही, और कहा कि अपने जीवन का हर पल भारत माता के लिए होना चाहिए।
शनिवार 6 जनवरी को प्रताप गौरव केन्द्र में महाराज का उद्बोधन होगा। सात जनवरी को हिरणमगरी स्थित स्वागत वाटिका में महाराज आशीर्वचन प्रदान करेंगे।