जयपुर, 27 दिसंबर। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल पौष महीने में सूर्य देव की मकर राशि में प्रवेश करने की तिथि को मकर संक्रांति कहा जाता है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। सनातन धर्म को मानने वाले लोग सूर्य देव की विशेष पूजा उपासना करते है। लेकिन इस बार सूर्य देव 15 जनवरी को देर रात्रि राशि परिवर्तन करेंगे। जिसके चलते मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य देव के उत्तरायण होने का भी विशेष महत्व बताया गया है। इसलिए दान-पुण्य का कार्य 15 जनवरी को होगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि 15 जनवरी को देर रात्रि 2 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे । सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करते ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा । वैसे तो प्रत्येक वर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। लेकिन इस बार 15 जनवरी को पूजा -अर्चना ,दान-पुण्य करने का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल सवा सात से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेंगा।
पंडित शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का पर्व देशभर में काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करके पूजा-पाठ और जप के साथ दान-पुण्य करते है। इस दिन भगवान सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व होता है। साथ ही इस दिन पीले वस्त्र धारण करके सूर्य देव को जल अर्पित करते है। मकर संक्रांति वाले दिन सूर्य चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से सुख-शांति और धन वृद्धि में उन्नति होती है। पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद लोगों को तिल-गुड और खिचड़ी सहित वस्त्रो का दान करना चाहिए। ऐसा करने से सभी तरह के पुण्य की प्राप्ति होती है।