नाड़ी वैद्य डी.के. शर्मा दे रहे सेवाएं

तीन पीढ़ियों से सोसायटी से जुड़ा है नाड़ी वैद्य का परिवार

कोलकाता, 27 दिसम्बर। कोलकाता में हर साल भरने वाले लोक संस्कृति मेले में मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी आयुर्वेद और नाड़ी देखकर परामर्श व उपचार की निःशुल्क सेवाएं उपलब्ध करा रही है।

मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के सचिव प्रह्लादराय गोयनका ने बताया कि सोसायटी ने एलोपैथी के साथ-साथ भरतीय चिकित्‍सा पद्धति का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्‍य से लोक संस्‍कृति मेले में वैद्यक सेवाएं उपलब्‍ध करवाई है। गोयनका ने कहा आयुर्वेद आदमी को स्‍वस्‍थ रखने का विज्ञान है। आयुर्वेद लोगों को ठीक तो करता ही है, उन्‍हें बीमार होने से बचाने की शिक्षा भी देता है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए मेले में आयुर्वेद परामर्श और उपचार की सेवएं निशुल्‍क उपलब्‍ध करवाई गई है। मेले में प्रख्यात नाड़ी वैद्य डी.के. शर्मा सेवाएं दे रहे हैं। बीते मंगलवार को यहां इतने लोग परामर्श लेने पहुंचे कि निर्धारित 6 बजे से 9 बजे के अतिरिक्त डेढ़ घंटा और परामर्श का दौर चला।

नाड़ी वैद्य डी.के. शर्मा ने बताया कि एक समय था जब भारतीय आयुर्वेद पद्धति की महत्वपूर्ण नाड़ी जांच शाखा के प्रति भ्रांतियां उत्पन्न कर दी गई थीं। लेकिन, अनुभवी नाड़ी वैद्यों के बेहतर उपचारों की बदौलत आज नाड़ी जांच चिकित्सा ने फिर से अपना एक सम्मानित स्थान बनाया है। बुजुर्ग तो पहले भी इसके प्रति श्रद्धा रखते थे, अब युवा पीढ़ी भी इसके प्रति आकर्षित हो रही है। खासतौर से सोनोग्राफी और रक्तजांच मशीनों से करवाने के बजाय काफी लोग नाड़ी जांच को प्राथमिकता दे रहे हैं। सुगर, किडनी, लीवर संबंधी परेशानी के लिए नाड़ी देखकर परामर्श लेना और आयुर्वेद पद्धति से चिकित्सा लेने के प्रति रुझान बढ़ा है।

नाड़ी वैद्य शर्मा ने बताया कि वे लम्बे समय से मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के साथ जुड़े हैं और विभिन्न स्थानों पर निःशुल्क शिविरों में सेवा के प्रति उपलब्ध रहते हैं। यहां भी विपन्न लोगों की जांच, परामर्श व आवश्यकता होने पर एक हफ्ते की आयुर्वेदिक दवा निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि उनके दादा नाड़ी वैद्य श्रीराम शर्मा भी सोसायटी से जुड़े थे। मूलतः राजस्थान के रतनगढ़ के निवासी शर्मा ने बताया कि उनकी परदादा सूरजमल गौड़, पिता घनश्याम भी इस क्षेत्र में सेवा के प्रति समर्पित रहे हैं और सोसायटी से जुड़े रहे हैं।

सोसायटी के कार्यकर्ता संदीप गर्ग ने बताया कि कोलकाता में नए साल के आगमन पर लोक संस्कृति मेला भरता है। इस मेले का आयोजन कोलकाता में बसे प्रवासी राजस्थानी करते हैं। मेले का मुख्य उद्देश्य समाज के युवाओं को नये साल का जश्न मनाने के लिए क्लब, बार, होटल जैसी जगहों पर जाने के बजाय सेवा के संकल्प की ओर प्रगत करना है। इस मेले में राजस्थानी लोक संस्कृति से जुड़े विविध आयोजन होते हैं। राजस्थानी लोक कलाकार वहां अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।