कोलकाता, 27 दिसंबर। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चैतन्य महाप्रभु का अवतार बताने वाले पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु विवादों में घिर गए हैं।
वायरल हो रहे एक वीडियो में ब्रात्य बसु पूर्वी बर्दवान जिले के पूर्वस्थली में एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कह रहे हैं, “चैतन्य देव हमेशा सभी धर्मों की एकता की बात करते थे। उन्होंने कभी भी लोगों को धर्म के आधार पर बांटने की वकालत नहीं की। इसी तरह ममता बनर्जी भी सर्व-समावेश में विश्वास करती हैं। वह कभी भी विभाजनकारी राजनीति को प्रोत्साहित नहीं करतीं।” इसलिए अगर पश्चिम बंगाल में चैतन्य महाप्रभु का कोई आदर्श अवतार है तो वह ममता बनर्जी हैं।
उनकी टिप्पणियों पर विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कोलकाता नगर निगम में भाजपा के पार्षद सजल घोष ने कहा, “इस तरह की टिप्पणी ब्रात्य बसु के मुख्यमंत्री की अच्छी किताबों में बने रहने की बेताब कोशिशों के कारण हुई हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी टिप्पणियां एक शिक्षित व्यक्ति और उनके जैसे प्रशंसित अभिनेता की ओर से आई हैं।
सीपीआई (एम) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि बसु की टिप्पणियां साबित करती हैं कि तृणमूल कांग्रेस के नेता अपने सर्वोच्च नेता को खुश करने के लिए किस स्तर तक गिर सकते हैं। चक्रवर्ती ने कहा, यह कोई नई बात नहीं है और राज्य के शिक्षा मंत्री ने तृणमूल कांग्रेस में अन्य पार्टी नेताओं की विरासत को बरकरार रखा है।
इससे पहले पिछले साल जून में, हावड़ा जिले के उलुबेरिया (उत्तर) से तीन बार के तृणमूल कांग्रेस विधायक रहे निर्मल मांझी ने ममता बनर्जी को रामकृष्ण परमहंस की पत्नी और आध्यात्मिक देवी मां सारदा का अवतार बताया था।
मांझी ने यहां तक कहा कि स्वामी विवेकानन्द की मृत्यु से कुछ दिन पहले मां सारदा ने स्वामीजी के कुछ अनुयायियों से कहा था कि जब उनका पुनर्जन्म होगा, तो वह प्रसिद्ध काली मंदिर के पास कालीघाट में पुनर्जन्म लेंगी। संयोग से, बनर्जी का आवास कालीघाट में काली मंदिर के पास स्थित है।
रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के मुख्यालय बेलूर मठ ने मांझी की ऐसी टिप्पणियों के खिलाफ आपत्ति का एक कड़ा नोट जारी किया था।
पिछले साल जुलाई में, उत्तर 24 परगना जिले के बागदा विधानसभा क्षेत्र के विधायक विश्वजीत दास ने मुख्यमंत्री की तुलना रानी रासमणि से की थी।