उदयपुर, 21 दिसंबर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि लोक संस्कृति में ही जीवन की सुगंध समाई होती है। उन्होंने कहा कि संस्कृति कोई वस्तु नहीं, बल्कि जीवन जीने की ढंग होती है। हर देशवासी का कर्तव्य है कि वह अपनी संस्कृति को सहेजे और उसे अक्षुण्ण बनाए रखे। मिश्र ने राजस्थान के शौर्य और बलिदान को याद करते हुए महाराणा प्रताप, पन्नाधाय के साथ ही महलों और मंदिरों की भूमि बताते हुए कहा कि मरुधरा के तो कण-कण में कला और संस्कृति है।

वे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में कला प्रेमियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव साधारण उत्सव नहीं, बल्कि देशभर की लोक संस्कृति के अनूठे संगम का प्रतीक है। यहां देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न भाषाओं, खान-पान वाले लोगों को एक-दूसरे से मिलने और समझने का अवसर मिल रहा है। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प और तमाम लोक कलाओं के संगम से ही शिल्पग्राम जीवंत होता है। जब सबका एक ही लक्ष्य, एक ही भावना का समावेश होता है, तभी ऐसे उत्सव की संकल्पना साकार रूप लेती है। राज्यपाल ने शिल्पग्राम उत्सव के दौरान लगने वाले कला शिविर, प्रतियोगिता, कार्यशाला और प्रदर्शनी की सराहना की। राज्यपाल मिश्र ने शिल्पग्राम के संगम सभागार में म्यूरल कला प्रदर्शनी का उद्घाटन और अवलोकन किया। उन्होंने हाट बाजार भी देखा।

इससे पूर्व, स्वागत संबोधन में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने स्वागत भाषण में कहा कि कला-संस्कृति हमारी पहचान ही नहीं, देश की शक्ति भी है। हम सबका कर्तव्य है कि लोक संस्कृति से जन-जन को जोड़ें, साथ ही नए लोगों में भी इससे जुड़ाव पैदा करें। उन्होंने बताया कि पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर ने केंद्र सरकार की पॉलिसी के अनुसार हर घर तिरंगा, वंदे मातरम, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव जैसे सफल आयोजन किए हैं। इसके अलावा कला को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से कई कार्यशालाएं और शिविर भी लगाए। उन्होंने कहा कि शिल्पग्राम उत्सव हमारे केंद्र का बड़ा आइकोनिक प्रोग्राम है। इसमें चार पद्मश्री सहित एक हजार से कलाकार व शिल्पकार शरीक हुए हैं।

अध्यक्षीय संबोधन में उदयपुर के मेयर गोविंद सिंह टांक ने उदयपुरवासियों का आह्वान किया कि यहां लगे शिल्पकारों के स्टाल्स से खरीदारी जरूर करें।

राज्यपाल ने इस अवसर पर 25 साल से अपने उत्कृष्ट लेखन से लोक कलाओं के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले डॉ. राजेश कुमार व्यास और लोक नृत्य प्रस्तुतीकरण एवं नृत्य निर्देशन में चार दशकों से योगदान देने वाले जयेंद्र सिंह जाडेजा को पद्म भूषण डॉ. कोमल कोठारी स्मृति लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान से नवाजा। प्रत्येक को 2.51 लाख रुपये और प्रशस्ति पत्र प्रदान करने के साथ ही शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। डॉ. व्यास ने 25 पुस्तकों का लेखन किया, जिनमें सांस्कृतिक राजस्थान, कलावाक्, रंग नाद, सुर जो सजे आदि उल्लेखनीय हैं। वहीं, प्रसिद्ध लोक कलाकार जाडेजा ने भारत के साथ ही विभिन्न देशों में 745 प्रोग्राम किए और 84 कार्यशालाओं का आयोजन किया।

पीएम मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ विजन पर शानदार प्रस्तुति

शिल्पग्राम उत्सव की पहली सांस्कृतिक प्रस्तुति लोक झंकार ने संस्कृति के ऐसे खूबसूरत रंग बिखेरे कि मौजूद तमाम कला प्रेमियों के दिल झंकृत हो गए और वे झूमने लगे। पीएम मोदी के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ विजन पर आधारित प्रस्तुति ने सभी का मनमोह लिया।