नई दिल्ली, 19 दिसंबर। दिल्ली में अवैध कॉलोनियों को कर्रवाई से बचाने से जुड़े विधेयक को आज संसद के दोनों सदनों ने पारित कर दिया। इसके साथ ही विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई। इससे अगले 3 सालों तक राजधानी में अवैध निर्माण डीडीए की कार्रवाई से बचा रहेगा।
केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने दोनों सदनों में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) दूसरा (संशोधन) विधेयक, 2023 को विचार और पारित करने के लिए पेश किया। इस दौरान चर्चा का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली न केवल आबादी बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी वृद्धि कर रही है और यह एक पुनर्निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रही है। विधेयक हमें समय देगा कि राजधानी के व्यवस्थित विकास की दृष्टि से नीति और दिशा से जुड़े विषयों पर विस्तार चर्चा हो पाए।
उन्होंने कहा कि 1947 से दिल्ली की आबादी 7 लाख से ढाई करोड़ हो गई है, लेकिन पिछली सरकारों ने इतने सालों तक इस विषय पर विचार नहीं किया। 2006 में कोर्ट की कार्रवाई के बाद कार्रवाई से बचाने के लिए विधेयक लाया गया और एक-एक साल विषय को आगे बढ़ाया गया। 2011 से तीन-तीन साल के लिए विधेयक लाये गये।
पुरी ने बताया कि 2017 में शहरी विकास मंत्रालय संभालने के बाद उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री से इस विषय पर चर्चा की, लेकिन उन्हें अहसास हुआ कि वे विषय को समझ नहीं रहे हैं। 2019 में प्रधानमंत्री ने उन्हें विषय की जिम्मेदारी दी। वे 2019 में विधेयक लाए, लेकिन कोरोना काल के कारण काफी जमीनी काम नहीं कर पाए। 2023 में हम विधेयक लाए हैं, ताकि हमें समय मिले। विधेयक लाने का एक और कारण है कि 2041 का मास्टर प्लान लगभग तैयार है।
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार पर निशाना साधा और पिछली केन्द्र की कांग्रेस नीत यूपीए सरकार पर दिल्ली के लिए कुछ काम न करने का आरोप लगाया। विधेयक पर तीन सदस्यों ने अपना पक्ष रखा।
उल्लेखनीय है कि इस विधेयक में अनधिकृत कॉलोनियों की सुरक्षा का भी प्रावधान है। यह कॉलोनियों को 31 दिसंबर, 2026 तक सुरक्षा प्रदान करेगा।