कोलकाता, 19 दिसंबर। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले के मामले में हालिया घटनाक्रम के बीच खाद्य एवं आपूर्ति विभाग ने अब किसानों से खाद्यान्न खरीद प्रणाली को कड़ी निगरानी में ले लिया है।

एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि खाद्यान्न खरीद के समय शिविरों में तैनात खरीद अधिकारियों की गतिविधियों पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह निर्णय उन आरोपों के सामने आने के बाद लिया गया है कि किसानों से प्रत्येक 10 किलोग्राम खाद्यान्न के बजाय 11 किलोग्राम की खरीद की गई, लेकिन रिकार्ड में खरीद 10 किलो खरीद ही दिखाई गई और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य भी 10 किलो का ही दिया गया।

राशन वितरण मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों के निष्कर्षों के अनुसार, किसानों से  मुफ्त में वसूला गया अनाज खुले बाजारों में बेच दिया गया।

सूत्रों ने यह भी कहा कि खरीद अधिकारियों को अब बारी-बारी से खाद्यान्न खरीद शिविरों में प्रतिनियुक्त किया जाएगा, जहां एक खरीद अधिकारी को लगातार अवसरों पर एक ही शिविर में प्रतिनियुक्त नहीं किया जाएगा।

खाद्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि ऐसी निगरानी खरीद अधिकारियों के एक वर्ग और उनसे अतिरिक्त खाद्यान्न खरीदने वाले लोगों के बीच सांठगांठ को तोड़ने में सहायक होगी।

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सूत्रों ने यह भी कहा कि खरीद अधिकारियों के प्रदर्शन की अब से मासिक आधार पर समीक्षा की जाएगी। यदि उनमें से किसी की ओर से कोई चूक विभाग के संज्ञान में आती है, तो संबंधित व्यक्ति को उसके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाएगा।

 

हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राशन वितरण मामले में राज्य के वनमंत्री और पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और कोलकाता के कारोबारी बकीबुर रहमान को भी गिरफ्तार किया गया था। दोनों मिलकर मार्केट से कम कीमत में अनाज खरीद कर उसे अधिक कीमत पर बेचते थे।