
नई दिल्ली, 2 अगस्त । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कृषि कानूनों को लेकर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली द्वारा धमकाने के दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। भाजपा ने राहुल के इस बयान को तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक बताया है।
भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रभारी अमित मालवीय ने शनिवार को एक्स पोस्ट में कहा कि राहुल गांधी का दावा है कि अरुण जेटली ने 2020 के कृषि कानूनों के प्रति उनके विरोध को कमज़ोर करने के लिए उनसे संपर्क किया था। अरुण जेटली का 24 अगस्त 2019 को निधन हो गया। कृषि विधेयकों का मसौदा 03 जून 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया गया। ये कानून सितंबर 2020 में लागू किए गए। समर्थन या विरोध में, कोई भी चर्चा इन घटनाक्रमों के बाद शुरू हुई। यह कहना कि अरुण जेटली ने उनसे किसी भी चीज़ के लिए संपर्क किया था, तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है।
वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने एक्स पोस्ट में कहा, “मैं राहुल गांधी को याद दिला दूं कि मेरे पिता का देहांत 2019 में हुआ था और कृषि कानून 2020 में पेश किए गए थे। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरे पिता का स्वभाव किसी को भी विरोधी विचार के लिए धमकाना नहीं था। वह एक कट्टर लोकतांत्रिक व्यक्ति थे और हमेशा आम सहमति बनाने में विश्वास रखते थे।”
रोहन ने कहा कि अगर कभी ऐसी स्थिति आती भी, जैसा कि राजनीति में अक्सर होता है, तो वह सभी के लिए एक पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए स्वतंत्र और खुली चर्चा का आह्वान करते थे। वह बस ऐसे ही थे और आज भी उनकी यही विरासत है। मैं राहुल गांधी को उन लोगों के बारे में बोलते समय सचेत रहना चाहिए, जो अब हमारे साथ नहीं हैं। उन्होंने मनोहर पर्रिकर जी के साथ भी कुछ ऐसा ही करने की कोशिश की, उनके अंतिम दिनों का राजनीतिकरण किया, जो उतना ही घटिया था।
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने विज्ञान भवन में आयोजित कांग्रेस के राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन में कहा था कि जब वे कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ रहे थे, तो अरुण जेटली को मुझे धमकाने के लिए भेजा गया था। उन्होंने मुझसे कहा था, “अगर आप सरकार का विरोध करते रहे और कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ते रहे तो हमें आपके खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ेगी।”