जलपाईगुड़ी, 18 जुलाई । बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद से राजनीतिक और स्थिरता बनी हुई है। इस बीच, एक बार फिर बांग्लादेश में हिंसा और अराजकता का माहौल बन गया है। खासकर गोपालगंज में स्थिति तनावपूर्ण है। हालांकि यह इलाका भारत-बांग्लादेश सीमा से काफी दूर है, लेकिन जलपाईगुड़ी जिले के दक्षिण बेरूबाड़ी ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले लोग एक बार फिर से डरे हुए हैं। उन्हें पिछले साल की घटनाएं याद आ रही हैं, जब सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठ की कोशिशें हुई थीं।

दरअसल दक्षिण बेरूबाड़ी पंचायत क्षेत्र में भारत-बांग्लादेश की 29 किलोमीटर लंबी सीमा है, जिसमें से 16 किलोमीटर क्षेत्र पूरी तरह खुला है। इस इलाके में नवानबस्ती, नलजोवा पाड़ा, चिलडांगा, बारुईपाड़ा, बंग्राम, डाकेर कामत जैसे कई गांव स्थित हैं।

प्रशासन ने इस खुले क्षेत्र में बाड़ (कांटेदार तार) लगाने के लिए स्थानीय लोगों से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। 13 किलोमीटर क्षेत्र के लोग अपनी जमीन देने को तैयार हैं, लेकिन शेष 3 किलोमीटर में रहने वाले किसान अपनी जमीन देने से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि बाड़ लगाने से उनकी खेती की जमीन चली जाएगी, जिससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी। इसी वजह से सीमा पर पूरी तरह से बाड़बंदी का कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

बांग्लादेश में उत्पन्न हालिया अराजकता की खबरें जब सोशल मीडिया के जरिए ग्रामीणों तक पहुंच रही हैं, तो उनमें भय का माहौल बन गया है। बुड़ीझोत की रहने वाली मिनती रॉय बताती हैं, “गोपालगंज की स्थिति देखकर रात को नींद नहीं आती। हमारी सीमा खुली हुई है। ऐसे में किसी भी वक्त बांग्लादेशी असामाजिक तत्व घुसपैठ कर सकते हैं। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द प्रशासन यहां बाड़ लगाए।”

इसी तरह, एक अन्य ग्रामीण प्रशांत राय ने कहा, “पिछले साल से ही बांग्लादेश में उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है। अगस्त 2024 में चिलडांगा के खुले सीमा क्षेत्र से कई बांग्लादेशी अल्पसंख्यक भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे। अभी फिर वैसी ही स्थिति बनने से हम डरे हुए हैं।”

दक्षिण बड़ो हल्दीबाड़ी ग्राम पंचायत की प्रधान सुमित्रा देव अधिकारी ने बताया, “बाड़बंदी को लेकर कुछ गांवों के लोग जैसे बंग्राम, डाकेर कामत, मणिंगा पाड़ा के निवासी अभी भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं। उनके साथ कई बार बैठकें की गईं, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है।”