कोलकाता, 14 जुलाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी 18 जुलाई को दुर्गापुर में होने वाली सभा को लेकर बंगाल भाजपा में सियासी हलचल तेज हो गई है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और कभी पार्टी के दिग्गज नेता माने जाने वाले दिलीप घोष को इस सभा के लिए औपचारिक न्योता भेजा गया है। लंबे समय से पार्टी गतिविधियों से दूर चल रहे दिलीप घोष की इस रैली में मौजूदगी को लेकर राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा में बदलते समीकरणों का संकेत मान रहे हैं। सोमवार को दिलीप घोष ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्हें आमंत्रण मिला है और वह निश्चित तौर पर कार्यक्रम में जाएंगे।

एक समय ऐसा भी था जब उनके तृणमूल कांग्रेस में जाने की संभावनाओं पर चर्चा तेज हो गई थी। हालांकि घोष ने खुद भी इस मुद्दे पर बयान देकर उन चर्चाओं को हवा दी थी। लेकिन अब भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य के नेतृत्व में जैसे ही संगठन में बदलाव हुआ, वैसे ही घोष की पार्टी में भूमिका को लेकर पुनः चर्चा शुरू हो गई है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, शमिक भट्टाचार्य के अध्यक्ष बनने के बाद से ही दिलीप घोष और पार्टी नेतृत्व के बीच की दूरी कम होती दिख रही है। हाल ही में घोष ने भाजपा के सॉल्टलेक स्थित प्रदेश कार्यालय में शमिक से मुलाकात भी की थी। उसके बाद उनका सपरिवार दिल्ली दौरा भी काफी चर्चा में रहा, जिसे पार्टी में उनकी पुनर्स्थापना के संकेत के तौर पर देखा गया।

यही नहीं, दिलीप घोष को दुर्गापुर रैली में बुलाए जाने को भी इस बदलाव की कड़ी माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी के निर्देश पर वे बर्धमान-दुर्गापुर सीट से उम्मीदवार बने थे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा था। इसी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि आगामी विधानसभा चुनाव 2026 से पहले क्या पार्टी उन्हें साइडलाइन कर देगी। लेकिन अब पार्टी द्वारा दिए गए इस निमंत्रण ने उन तमाम अटकलों पर विराम लगा दिया है।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में दिलीप घोष दिघा में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य सरकार के निमंत्रण पर पत्नी के साथ पहुंचे थे, जिससे भाजपा के अंदर कुछ नेताओं ने नाराज़गी भी जताई थी। इसके बाद उन्हें कई पार्टी कार्यक्रमों से दूर देखा गया, जिससे उनके भविष्य को लेकर संदेह और गहराया।