
शिवसागर (असम), 14 जुलाई। म्यांमार स्थित उल्फा (आई) के शिविर पर कथित ड्रोन हमले को लेकर शांति वार्ता समर्थक उल्फा अध्यक्ष अरविंद राजखोवा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए बातचीत का रास्ता अपनाने और राजनीतिक समाधान निकालने पर जोर दिया।
अरविंद राजखोवा ने सोमवार को कहा कि उन्हें सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों से इस हमले की जानकारी मिली है। यह घटना रहस्यमय है, क्योंकि भारतीय सेना ने अब तक इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदुर के तहत पाकिस्तान पर भारतीय हमले की तस्वीरों की तुलना करते हुए कहा कि यहां भी उल्फा शिविर की तस्वीरें सामने आई हैं।
राजखोवा ने कहा कि चाहे जो भी हो, एक असमिया युवक की मौत हुई है। यह शोक केवल उस परिवार का नहीं, पूरे असम का है। उन्होंने कहा कि परेश बरुवा का संघर्ष बंदूक से होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका राजनीतिक समाधान ही एकमात्र रास्ता है। राष्ट्र मशीनरी की उपेक्षा और शोषण के खिलाफ यह लड़ाई जारी रहेगी। यह हमला राजनीतिक समाधान के मार्ग में रुकावट बन सकता है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस घटना के बारे में परेश बरुवा ने उनसे सीधे संपर्क नहीं किया है, लेकिन मामला बेहद संवेदनशील बन गया है। एक ओर बम से हमला करना और दूसरी ओर शांति वार्ता की बात करना समाधान का रास्ता नहीं हो सकता। राष्ट्र को दोहरा रवैया नहीं अपनाना चाहिए।
राजखोवा ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार की सकारात्मक मंशा जरूरी है। अगर संघर्ष का राजनीतिक हल चाहिए तो देश के नेताओं को आगे आना होगा। यह हमला इस बात की ओर इशारा करता है कि शायद राष्ट्र सत्ता इस समस्या को हल करने के लिए गंभीर नहीं है।
उन्होंने कहा कि इस हमले से उल्फा (आई) का अंत नहीं होगा। हो सकता है संगठन थोड़े समय के लिए कमजोर हो, लेकिन उसका अस्तित्व समाप्त नहीं होगा। चाहे नाम उल्फा (आई) न भी रहे, यह आंदोलन किसी न किसी रूप में जारी रहेगा।