
कोलकाता, 11 जुलाई । पश्चिम बंगाल की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इकाई ने राज्य प्रायोजित घुसपैठ के अपने आरोपों को मजबूती देने के लिए अब क्षेत्रवार आधार सैचुरेशन डेटा पर भरोसा करना शुरू कर दिया है। पार्टी का दावा है कि कुछ इलाकों में आधार कार्डधारकों की संख्या वहां की जनसंख्या से भी अधिक है, जो अवैध घुसपैठ की ओर इशारा करती है।
भाजपा लंबे समय से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार पर बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने और अवैध नागरिकों को भारतीय पहचान पत्र उपलब्ध कराने का आरोप लगाती रही है। अब पार्टी इन आरोपों के समर्थन में डेटा का इस्तेमाल करने की रणनीति अपना रही है।
भाजपा के एक राज्य समिति सदस्य ने बताया कि बिहार के अल्पसंख्यक बहुल जिलों —पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज —में आधार सैचुरेशन 121 से 126 प्रतिशत तक पाया गया है, जबकि पूरे बिहार में यह औसतन 94 प्रतिशत है। उनका कहना है कि अगर बिहार में यह स्थिति है, तो पश्चिम बंगाल में हालात और स्पष्ट हैं। इसी कारण पार्टी राज्य में क्षेत्रवार आधार सैचुरेशन डेटा जुटा रही है, ताकि यह साबित किया जा सके कि राज्य सरकार क्यों आधार को नागरिकता का प्रमाण मानने पर ज़ोर दे रही है और क्यों वह राज्य में अवैध घुसपैठियों की पहचान के प्रयासों का विरोध कर रही है।
पार्टी का दावा है कि कोलकाता और उसके आसपास के तीन जिलों —हावड़ा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना —के कई विधानसभा क्षेत्रों में आधार सैचुरेशन स्तर 100 प्रतिशत से ऊपर है। भाजपा को विश्वास है कि मालदा, मुर्शिदाबाद, कूचबिहार और उत्तर दिनाजपुर जैसे जिलों में भी इसी तरह की स्थिति सामने आ सकती है।
भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसीलिए राज्य में मतदाता सूची की विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं और इसे पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने की कोशिश बता रही हैं।
भाजपा की यह रणनीति राज्य की राजनीति में एक बार फिर नागरिकता और घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता से लाने की ओर संकेत करती है। पार्टी की ओर से यह भी कहा गया है कि जैसे-जैसे और डेटा सामने आएगा, अवैध रूप से बढ़ी हुई आधार सैचुरेशन की तस्वीर और स्पष्ट होगी।