कोलकाता, 11 जुलाई। दिल्ली से पश्चिम बंगाल के प्रवासी श्रमिकों को कथित रूप से बांग्लादेश भेजे जाने के गंभीर आरोपों पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत को दिल्ली के मुख्य सचिव से संपर्क कर समूची स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया है। अगली सुनवाई अगले बुधवार को होगी।

हाई कोर्ट में यह मामला उस वक्त सामने आया जब याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि दिल्ली में बंगाल के कई श्रमिकों को बांग्लादेशी समझ कर हिरासत में लिया गया और फिर कथित रूप से देश से बाहर भेज दिया गया। वकील ने दावा किया कि इन श्रमिकों में एक आठ साल का बच्चा भी शामिल है, जिसे माता-पिता के साथ हिरासत में लिया गया। इस पर कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से तत्काल रिपोर्ट दाखिल करने को कहा।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति ऋतब्रत कुमार मित्र की खंडपीठ में शुक्रवार को हुई। कोर्ट ने इस मामले की तुलना पहले ओडिशा में श्रमिकों की हिरासत से जुड़े मामले से करते हुए सवाल किया कि क्या दोनों में कोई बुनियादी फर्क है। ओडिशा वाले मामले में किसी को देश के बाहर नहीं भेजा गया था, जबकि दिल्ली के मामले में एक परिवार को कथित रूप से बांग्लादेश भेजे जाने का आरोप है।

इस प्रकरण में केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता धीरज त्रिवेदी अदालत में पेश हुए। याचिकाकर्ता परिवार की ओर से अधिवक्ता रघुनाथ चक्रवर्ती तथा राज्य सरकार की ओर से विश्वव्रत बसुमल्लिक मौजूद रहे।

यह मामला बीरभूम के पाईकर इलाके के छह श्रमिकों से जुड़ा है, जिन्हें 18 जून को दिल्ली के रोहिणी जिले के के.एन. काटजू थाना क्षेत्र से हिरासत में लिया गया था। श्रमिकों ने हिरासत में लिए जाने के तुरंत बाद परिवार से संपर्क कर बताया था कि उन्हें बांग्लादेशी होने के संदेह में पकड़ा गया है। परिवार के लोग जब दिल्ली पहुंचे तो थाने से सूचित किया गया कि श्रमिकों को बीएसएफ को सौंप दिया गया है और उन्हें “पुश-बैक” के तहत बांग्लादेश भेज दिया गया है।

परिजनों का आरोप है कि पुलिस यह जानकारी देने को तैयार नहीं है कि उन्हें किस रास्ते और कैसे बांग्लादेश भेजा गया। परिवार ने राज्य के श्रम विभाग से संपर्क किया और इस मुद्दे को राज्यसभा सांसद एवं श्रमिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन सामिरुल इस्लाम के संज्ञान में भी लाया। सामिरुल इस्लाम ने इस पूरे मामले पर कहा, यह साधारण घटना नहीं, बल्कि किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है। उन्होंने कहा, “हम कोर्ट के माध्यम से न्याय की लड़ाई लड़ेंगे। जब केंद्र और राज्य सरकारें चुप हैं, तब हमें श्रमिकों की लड़ाई सड़क से कोर्ट तक लड़नी होगी।”