नई दिल्ली, 04 जुलाई। त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर ने शुक्रवार को भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक कविता का उल्लेख किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की यह कविता ‘आंख आ धन्य छे’ नामक गुजराती पुस्तक से उद्धृत की।

त्रिनिदाद और टोबैगो में आयोजित सामुदायिक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह कविता पढ़ी। प्रधानमंत्री बिसेसर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कविता उनके संघर्ष, स्मृतियों और अनुभवों की शक्ति को दर्शाती है। कविता में अतीत की यात्रा, कठिनाइयों में साथ चले लोगों की स्मृति, और उन अनुभवों की अंततः जीवन यात्रा का हिस्सा बन जाने की बात कही गई है। प्रधानमंत्री

प्रधानमंत मोदी की कविता ‘યાત્રા’ (यात्रा) का पाठ करते हुए बिसेसर ने दर्शाया कि कैसे व्यक्तिगत स्मृतियां और सामूहिक संघर्ष किसी भी व्यक्ति की चेतना में स्थायी रूप से बसे रहते हैं। यह कविता न केवल मोदी के निजी अनुभवों की झलक देती है, बल्कि प्रवासी भारतीयों को भी उनकी जड़ों से जोड़ती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रचित मूल गुजराती कविता

યાત્રા

દૂર દૂરના ભૂતકાળમાં

હું જઈ શકું છું

અને એક એક ચહેરાને

સ્પષ્ટપણે ઓળખી શકું છું.

કોઈ તણાવ સાથે

સ્મૃતિને ખેંચવી પડતી નથી

સહજ બધું દેખાઈ જાય છે,

ઓળખાઈ જાય છે,

કશુંય અળપાઈ નથી જતું.

સાવ સાદીસીધી વાત આટલી જ

કે જેમની સાથે સહન કર્યું હોય

એ કદી ભુલાતા નથી

અને સાથે વેઠેલી

યાતના છેવટે તો

યાત્રા થઈ જાય છે.

हिंदी अनुवाद

यात्रा

बहुत दूर के अतीत में

मैं जा सकता हूँ

और एक-एक चेहरे को

स्पष्ट पहचान सकता हूँ।

स्मृति को खींचने के लिए

कोई प्रयास नहीं करना पड़ता

सब कुछ सहज दिखता है,

पहचाना जाता है,

कुछ भी धुंधला नहीं होता।

बिलकुल सीधी-साधी बात यही है

कि जिनके साथ सहा हो

वे कभी भूले नहीं जाते

और जिनके संग झेली हुई

पीड़ा अंततः

यात्रा बन जाती है।