नई दिल्ली, 4 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दी है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता की मांग पर सुनवाई टाल दी है।
याचिका लखनऊ के वकील अशोक पांडेय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) और संविधान के अनुच्छेद 102 और 191 के तहत एक बार अगर कोई संसद का सदस्य सदस्यता खो देता है तो बिना आरोपों से बरी हुए उसकी संसद सदस्यता बहाल नहीं हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरनेम वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को राहुल गांधी की दोष सिद्धि पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लोकसभा सचिवालय ने 7 अगस्त को राहुल गांधी की सदस्यता बहाल कर दी थी।
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट निर्वाचन आयोग को निर्देश जारी करे कि वो राहुल गांधी की सीट को खाली घोषित करे और वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए।
याचिका में कहा गया है कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 389 के मुताबिक अपीलीय कोर्ट को केवल सजा पर रोक का अधिकार है न कि दोषसिद्धि पर रोक का अधिकार है।
दरअसल, 4 अगस्त को जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि निचली अदालत ने अधिकतम सजा देकर गलती की है। सुप्रीम ने कहा था कि इस केस में अधिकतम सजा (2 साल) होने के चलते राहुल की सदस्यता गई, पर निचली अदालत के जज ने फैसले में ये साफ नहीं किया कि अधिकतम सजा तय करने की वजह क्या है। फैसले में और बहुत सी सीख दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्या ये बात विचार योग्य नहीं है कि इस फैसले के चलते (अधिकतम सजा होने के के चलते) एक सीट बिना प्रतिनिधित्व के रह जाएगी। ये सिर्फ एक ही व्यक्ति के अधिकार तक सीमित रहने वाला मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटरों के अधिकार से भी जुड़ा मसला है।