
कोलकाता, 9 जून । पश्चिम बंगाल की महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक कल्याण मंत्री डॉ. शशि पांजा ने सोमवार को बाल संरक्षण दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में बच्चों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए कहा कि
“बच्चों को खुलकर बोलने देना चाहिए। जितना वे बोलेंगे, उतना ही अधिक सीखेंगे और गलतियों से सुधार कर आगे बढ़ेंगे। साथ ही, हम बड़े भी उनकी बातों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।”
यह कार्यक्रम पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा कोलकाता के रवींद्र सदन में आयोजित किया गया, जिसमें राज्यभर से 400 से अधिक छात्र, शिक्षक, समाजसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और अधिकारी शामिल हुए।
डॉ. पांजा ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पहल पर राज्य सरकार ने हर साल 9 जून को ‘बाल संरक्षण दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, ताकि बच्चों के अधिकारों और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक किया जा सके। उन्होंने यूनिसेफ की सक्रिय भागीदारी के लिए विशेष रूप से धन्यवाद ज्ञापित किया, जो बाल कल्याण के क्षेत्र में सरकार के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
मंत्री पांजा ने बच्चों में रचनात्मकता के विकास को बेहद आवश्यक बताते हुए कहा कि
“बच्चों को अपने विचारों को चित्रकला, रंगमंच, लेखन, पत्रकारिता या अन्य किसी माध्यम के जरिए व्यक्त करने की पूरी आजादी होनी चाहिए। यही उनकी आत्म-विश्वास की नींव बनती है।”
इस मौके पर आयोग की अध्यक्ष तुलिका दास ने चिंता जताते हुए कहा कि हालिया सर्वेक्षण के अनुसार,
“राज्य में केवल दो प्रतिशत बच्चे ही अपने माता-पिता से अपने सुख-दुख साझा करते हैं।”
उन्होंने बताया कि बच्चों और बुजुर्गों के बीच संवाद की कमी और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। उन्होंने अभिभावकों, शिक्षकों और समाज से विनती किया कि बच्चों की भावनाओं को समझने और मानसिक स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है।
कार्यक्रम के दौरान बच्चों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा में सराहनीय योगदान देने वाले पुलिसकर्मियों को सम्मानित किया गया।
विशेष अतिथि के रूप में संघमित्रा घोष, प्रमुख सचिव – महिला एवं बाल विकास और सामाजिक कल्याण विभाग, ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।
समारोह के अंत में बच्चों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए, जिनमें नृत्य, नाटक और गायन शामिल था। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से बच्चों ने अपने विचारों और भावनाओं को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया ।