
खूंटी, 24 मई । प्रशासन जिले में बालू की तस्करी रोकने के लाख दावे कर ले, पर सच्चाई इसकेे विपरीत है। रात में बालू के अवैध परिवहन की बात पुरानी हो चुकी है, अब तो रेत माफिया इतने निडर हो गये हैं कि वे दिन दहाड़े बेखौफ नदियों से बालू का अवैध उत्खनन कर रांची सहित कई शहरों में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं।
तोरपा और कर्रा प्रखंड की कारो और छाता नदी बालू के अवैध उत्खनन का सबसे बड़ा केंद्र हैं। सुबह से ही ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन से नदियों का सीना छलनी कर बालू का अंधाधुंध दोहन शुरू हो जाता है। ऐसा नहीं हैं कि प्रशासन की ओर से रेत तस्करी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती, पर इसका कोई असर इस अवैध करोबार पर पड़ता नहीं दिखता।
बालू और अन्य खनिज संपदा के अवैध कारोबार को रोकने के लिए जिला खनन टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है और इसकी लागातर बैठकें भी होती हैं, लेकिन बैठक में लिए गए निर्णयों का धरातल पर कहीं असर नहीं दिखता। सूत्र बताते हैं कि जरियागढ़, तोरपा और रनिया थाना क्षेत्र के विभिन्न घाटों से बालू की भारी मात्रा में अवैध निकासी होती हैै। बताया जाता है कि सिर्फ तोरपा और जरियागढ़ थाना क्षेत्र से ही हर दिन 30 से 40 हाइवा ट्रक से बालू का अवैध परिवहन होता है।
कारो पुल पर मंडरा रहा खतरा, प्रशासन मौन
खूंटी-सिमड़ेगा मुख्य मार्ग के कारो नदी कें पुल के नीचे से लगातार अवैध रूप से बालू का उत्खनन और परिवहन किया जा रहा है। यह क्षेत्र खनन के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित है, फिर भी बालू माफिया पुल के पीलर से मात्र तीन सौ मीटर की दूरी से धड़ल्ले से खनन कार्य कर रहे हैं। पुल के पूर्वी भाग की 500 मीटर परिधि से बड़े पैमाने पर बालू निकाला जा चुका है। स्थानीय लोगों के अनुसार शाम ढलते ही अवैध उत्खनन शुरू हो जाता है, जिससे सरकार को प्रति माह लाखों के राजस्व की हानि हो रही है। इतना ही नहीं, अत्यधिक खनन से नदी का प्राकृतिक संतुलन भी बिगड़ रहा है।
इस संबंध में खूंटी की अनुमंडल पदाधिकारी दीपेश कुमारी कहती हैं कि बालू के अवैध उत्खनन या परिवहन की सूचना मिलते ही तुरंत कार्रवाई की जाती है। अवैध बालू उत्खनन में संलिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्लान तैयार किया गया है। किसी भी कीमत पर बालू माफिया को बख्शा नहीं जायेगा। जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस प्रशासन और खनन विभाग अर्लट मोड़ पर है।