कोलकाता, 24 मई  । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित नीति आयोग की 10वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल न होने पर विपक्षी दलों ने कड़ा एतराज जताया है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस, दोनों ने ममता बनर्जी के इस निर्णय को राज्य के लिए नुकसानदायक बताया है।

बीजेपी के राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने ममता बनर्जी की अनुपस्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि, “मुख्यमंत्री के इस फैसले से बंगाल की जनता वंचित रह गई है। यह मंच ऐसा था जहां राज्य के कई जरूरी मुद्दे उठाए जा सकते थे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि केंद्र सरकार से टकराव की राजनीति का कोई लाभ राज्य को नहीं मिलेगा।

कांग्रेस ने भी जताई नाराज़गी

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी मुख्यमंत्री की बैठक से दूरी पर असहमति जताई। उन्होंने कहा, “अगर मुख्यमंत्री बैठक में शामिल होतीं तो वह कई अहम मुद्दों को उठा सकती थीं, खासकर केंद्र की ओर से लंबित फंड को लेकर, जो राज्य के विकास के लिए बेहद जरूरी हैं।”

नई दिल्ली में आयोजित इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी के साथ विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल शामिल हुए। यह बैठक ‘विकसित राज्य से विकसित भारत @2047’ की दिशा में नीति आयोग की प्रमुख पहल है, जिसमें राज्यों को दीर्घकालिक और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने की सलाह दी गई है।

नीति आयोग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राज्यों को राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप स्थानीय ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए विज़न डॉक्युमेंट तैयार करने चाहिए, जिनमें समयबद्ध लक्ष्य भी निर्धारित हों।

उल्लेखनीय है कि नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक आमतौर पर हर साल होती है। इसकी पहली बैठक आठ फरवरी 2015 को आयोजित हुई थी, जबकि पिछली बैठक 27 जुलाई 2023 को हुई थी। पिछली बैठक के दौरान ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि उन्हें बोलने नहीं दिया गया और बीच में ही उनका माइक बंद कर दिया गया। इसके चलते वह बैठक बीच में ही छोड़कर निकल आई थीं।