
कोलकाता, 19 मई । एसएलएसटी शारीरिक शिक्षा और कार्य शिक्षा अभ्यर्थियों के एक विवादास्पद प्रदर्शन को लेकर दायर अदालत अवमानना मामले में अब राजनीति गरमा गई है। इस मामले में तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष का नाम शामिल किए जाने पर उन्होंने वाममोर्चा, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल राजनीतिक उद्देश्य से उन्हें बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं।
सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट ने कुणाल घोष समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ रूल नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को निर्धारित की गई है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम ने इस गंभीर मामले की सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय विशेष पीठ गठित की है।
सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत में कुणाल घोष ने कहा कि उस दिन के प्रदर्शन में मैं मौजूद नहीं था। कोर्ट परिसर में जो कुछ हुआ, मैं उसका समर्थन नहीं करता। लेकिन वाममोर्चा, भाजपा और कांग्रेस ने केवल मुझे फंसाने के लिए मेरा नाम जानबूझकर घसीटा है। तीन जजों की विशेष पीठ पर मुझे पूरा भरोसा है कि वे सच को समझेंगे और मुझे न्याय मिलेगा।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कुणाल घोष के वकील विश्वरूप भट्टाचार्य और अयन चक्रवर्ती ने दलील दी कि उनका हलफनामा तैयार है, लेकिन पुलिस रिपोर्ट की कॉपी देर से मिलने के कारण उसमें जरूरी बातें शामिल नहीं हो सकीं। उन्होंने अदालत से कुछ और समय देने की अपील की।
कोर्ट में मौजूद रहे कुणाल घोष ने व्यक्तिगत रूप से अपनी बात रखने के लिए कुछ मिनटों का समय मांगा था, लेकिन पीठ ने उन्हें यह कहकर रोक दिया कि उनके वकील अदालत में उपस्थित हैं और आज की सुनवाई यहीं तक रहेगी। इसके बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई।
कुणाल घोष ने प्रदर्शन कर रहे योग्य लेकिन बेरोज़गार शिक्षकों से अपील की कि वे किसी तरह की अराजकता में शामिल न हों। उन्होंने कहा, “कभी वाम और भाजपा के वकील मंच पर जाकर इन छात्रों का समर्थन कर रहे थे, लेकिन अब वही वकील उनके खिलाफ मुकदमे दायर कर रहे हैं। हम इन शिक्षकों की नौकरी के पक्ष में हैं, लेकिन अदालत परिसर में अनुशासनहीनता किसी भी हालत में सही नहीं मानी जा सकती।”
यह मामला अब न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक रंग भी ले चुका है। आने वाले दिनों में कोर्ट की सुनवाई और राजनीतिक बयानबाज़ी इस मुद्दे को और तीखा बना सकती है।