कोलकाता, 10 मई  । त्वरित मुनाफे का लालच देकर केंद्रीय बलों के करीब 450 परिवारों से 32 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है। आरोप है कि कोस्ट गार्ड सहित केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के मौजूदा और सेवानिवृत्त अधिकारियों के परिवारों को चिटफंड कंपनियों में निवेश के लिए प्रेरित किया गया और फिर उनके पैसे हड़प लिए गए। मामले में अब पीड़ितों को धमकियां भी दी जा रही हैं।

पुलिस के अनुसार, यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। महाराष्ट्र निवासी एक सेवानिवृत्त कोस्ट गार्ड अधिकारी, जो उस समय कोलकाता में तैनात थे, इस घोटाले के जाल में फंसे। कोस्ट गार्ड के न्यूटाउन कार्यालय में एक व्यक्ति वाहन सेवा देता था। इसी बहाने उसकी पहचान अधिकारियों से हुई और फिर वह पूर्वी कोलकाता के फूलबागान इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति को लेकर कार्यालय आया। इस व्यक्ति ने खुद को पांच बड़ी कंपनियों का मालिक बताया और बताया कि वह होटल और इंजीनियरिंग कंपनियों का संचालन करता है, जो बाद में चिटफंड कंपनियों के रूप में सामने आईं।

पीड़ित अधिकारी का आरोप है कि निवेशकों को बताया गया कि इन कंपनियों को देश-विदेश की पांच बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करोड़ों रुपये के ठेके मिले हैं। फर्जी दस्तावेज दिखाकर यह भी दावा किया गया कि एक नामी कंपनी को आठ करोड़ रुपये का ठेका मिला है और इसके लिए एक सार्वजनिक बैंक ने दस करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। इस तरह के कई जाली दस्तावेज दिखाकर निवेश के लिए प्रेरित किया गया।

सेवानिवृत्त अधिकारी ने शुरुआत में 24 लाख रुपये निवेश किए, जो बाद में बढ़कर 52 लाख रुपये हो गए। कंपनी ने उन्हें और उनके कुछ साथियों को दो कंपनियों का निदेशक भी बना दिया ताकि भरोसा और मजबूत हो। लेकिन जब उन्हें कंपनी की गतिविधियों पर शक हुआ तो उन्होंने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज से शिकायत की, मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

इस बीच, निवेशकों की संख्या बढ़ती रही और आरोप है कि कुल मिलाकर लगभग 450 लोगों से करीब 32 करोड़ रुपये की ठगी की गई। जब मार्च 2025 में निवेशकों ने अपनी रकम वापस मांगी तो कंपनी के लोगों ने धमकी देना शुरू कर दिया।

अब, उस सेवानिवृत्त कोस्ट गार्ड अधिकारी ने हाल ही में कोलकाता के फूलबागान थाने में आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और मुख्य आरोपित को पूछताछ के लिए तलब किया जा रहा है।