
नई दिल्ली, 8 मई । केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुुरुवार को कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में कुल खाद्यान्न क्षेत्र में 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें चावल और मक्का में प्रमुख वृद्धि देखी गयी है। समान रूप से खरीफ 2024 में कुल खाद्यान्न उत्पादन में वर्ष 2023 के खरीफ उत्पादन की तुलना में 6.81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिसमें चावल, मक्का और ज्वार आदि फसलों में उच्च उत्पादन देखा गया है। गुरुवार को नई दिल्ली के पूसा कैंपस स्थित अग्नि हॉल में पत्रकारों से बातचीत में राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन- खरीफ 2025 अभियान में हुई चर्चा के साथ-साथ खरीफ की बुआई से पहले कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की तैयारियों व रणनीतियों के बारे में जानकारी दी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री रामनाथ ठाकुर सहित विभिन्न राज्यों से आए कृषि मंत्री भी उपस्थित रहे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि राज्यों के बेहतर प्रदर्शन, किसानों की मेहनत के कारण खरीफ के रकबे में वृद्धि हुई है, वहीं खरीफ 2023-24 के दौरान चावल का क्षेत्रफल 40.73 मिलियन हेक्टेयर था, जो खरीफ 2024-25 में 43.42 मिलियन हेक्टेयर हो गया है। चावल का उत्पादन खरीफ 2023-24 में 113.26 मिलियन टन था, जो खरीफ 2024-25 में 120.68 मिलियन टन हो गया है। इसी तरह खरीफ में 2023-24 के दौरान मक्का का क्षेत्रफल 8.33 मिलियन हेक्टेयर था, जो खरीफ 2024-25 में 8.44 मिलियन हेक्टेयर हो गया और मक्के का उत्पादन खरीफ 2023-24 में 22.25 मिलियन टन था, जो खरीफ 2024-25 में 24.81 मिलियन टन हो गया है।
चौहान ने कहा कि लैब टू लैंड की नीति के तहत वैज्ञानिक और किसान साथ मिलकर काम करे, इसकी बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि गेहूं, चावल हमारे यहां पर्याप्त मात्रा में होता है लेकिन दलहन और तिलहन का हमें आयात करना पड़ता है। भारत सरकार ने जो दलहन मिशन शुरू किया है उसे इम्प्लीमेंट करने की बात सम्मेलन में हुई है। उत्पादन कैसे बढ़े, इस पर भी चर्चा और ऑइल सीड के उत्पादन को बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि 33 राज्यों का वार्षिक एक्शन प्लान आ गया है। 7.78 लाख हेक्टेयर में 15,560 क्लस्टर बनाए जाएंगे और 10 हजार बायो रिसोर्स सेंटर बनाए जाएंगे। 16 प्राकृतिक खेती के केंद्रों की पहचान की गई है और 3,100 वैज्ञानिकों को किसान को मास्टर ट्रेनिंग के रूप में ट्रेन किया गया है। कम से कम 18 लाख किसान प्राकृतिक खेती की शुरुआत करें।