कोलकाता, 23 अप्रैल । पश्चिम बंगाल में स्कूलों की करीब 26 हजार नियुक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित आदेश के अनुपालन को लेकर दायर अवमानना याचिका की वैधता पर बुधवार को राज्य शिक्षा विभाग ने सवाल उठाए।

यह मामला न्यायमूर्ति देबांग्सु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बर राशिदी की खंडपीठ के समक्ष आया, जहां याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा आंशिक रूप से संशोधित आदेश के बावजूद, शिक्षा विभाग ने बर्खास्त किए गए शिक्षण एवं गैर-शिक्षण कर्मियों की ओएमआर शीट्स वेबसाइट पर अपलोड नहीं की हैं।

राज्य शिक्षा विभाग की ओर से पेश अधिवक्ता ने दलील दी कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्देशों में कुछ संशोधन किए हैं, अतः अवमानना याचिका केवल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ही दाखिल की जा सकती है।

इसी आधार पर पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से पेश अधिवक्ता ने भी उच्च न्यायालय में दायर अवमानना याचिका की वैधता पर आपत्ति जताई।

हालांकि, याचिकाकर्ता पक्ष के वकील का कहना था कि शीर्ष अदालत ने मूल आदेश में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया है, इसलिए हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की जा सकती है। याचिका में यह भी कहा गया कि ओएमआर शीट्स, जो तीन हार्ड डिस्क में संग्रहित हैं, उन्हें “तत्काल” वेबसाइट पर सार्वजनिक करने का आदेश दिया गया था, जिसका पालन नहीं किया गया है।

कोर्ट ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को की जाएगी।

ज्ञात हो कि याचिकाकर्ताओं ने 22 अप्रैल 2024 को कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश और तीन व 17 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसमें किए गए आंशिक संशोधनों के बाद इस अवमानना याचिका को दाखिल किया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि आदेश के बावजूद अब तक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ओएमआर शीट्स सार्वजनिक नहीं की गई हैं।