MATHURA, NOV 23 (UNI):- Actress and MP Hema Malini perfroming dance at a cultural event 'Braj Raj Mahotsav' in Mathura on Thursday night. UNI PHOTO-24U

मथुरा , 24 नवंबर । मीराबाई की 525वीं जयन्ती पर जानी मानी सिने कलाकार हेमामालिनी ने कृष्ण भक्त मीरा के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका प्रस्तुत की जिसके कायल सैकड़ो दर्शक बने।

नृत्यांगना हेमा मालिनी एवं उनके दल के कलाकारों ने समा बांध दिया। मीराबाई की भूमिका हेमा मालिनी ने निभायी। नृत्य, ताल और संगीत की त्रिवेणी के मध्य इस नृत्य नाटिका का प्रदर्शन इतना प्रभावी था कि कुछ क्षणों मे दर्शकों के नेत्र सजल हो गए। ऐसा लग रहा था कि यह नृत्य नाटिका न होकर 16वीं शताब्दी का वह इतिहास

दुहराया जा रहा है जिसमें मीरा को कृष्ण भक्ति से विमुख करने के लिए उन पर तरह तरह के अत्याचार किये जा रहे हैं।

ब्रज रज उत्सव के अन्तर्गत ही आयोजित की गई त्रिदिवसीय मीराबाई जयन्ती में आयोजित नृत्य नाटिका की शुरूवात गणेश वन्दना से हुई तो वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो गया ।आठ वर्ष की मीरा ने श्रीकृष्ण को अपना पति माना तो प्रताड़ना पर प्रताड़ना मिलने के बावजूद वे नही डिगी ।

नृत्य नाटिका में विरोध के बावजूद जोधपुर के राठौर रतन सिंह की पुत्री मीरा का विवाह महाराणा सांगा के पुत्र भोजराज ( जो बाद में महाराण कुभा के नाम से मशहूर हुए ) से करने के दृश्य को इस प्रकार से प्रस्तुत किया गया कि सभी की सदभावना मीरा के साथ हो गई।

विवाह के बावजूद मीरा कृष्ण प्रेम के प्रति किस प्रकार अडिग रहीं इसका प्रस्तुतीकरण भजन ’’मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।’’ से बहुत सुन्दर तरीके से नृत्य नाटिका में मीरा की भूमिका अदा कर रहीं हेमा मालिनी ने प्रस्तुत किया ।पग घुघरू बांधि मीरा नाची रे, मै दुल्हन बन कान्हा के साथ रास रचा बैठी,मै तो गिरधर के घर जाऊं,ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन आदि गीतों की प्रस्तुतीकरण ने नृत्य नाटिका को बहुत अधिक प्रभावशाली बना दिया।

नृत्य नाटिका में विभिन्न आरोपों से घिरी मीरा को जब जहर का प्याला पीने को दिया गया और जब मीरा ने उसे पिया तो उसके बाद के कुछ समय तक उनकी परेशानी देखकर दर्शकों के नेत्र सजल हो गए।

आरोपों से परेशान होकर मीराबाई घर छोड़कर वृन्दावन आईं और यहां 15साल तक रहीं तथा बाद में गुजरात गईं और गोलोकवासी बनी।

इस नृत्य नाटिका का इतना जीवन्त मंचन किया गया कि दर्शकों में से कुछ यह कहते सुने गए कि इसका मंचन एक बार पुनः देखने की उनकी इच्छा है।

गुरूवार सुबह हेमा ने वृन्दावन के मीराबाई मन्दिर में जाकर भावांजलि अर्पित की तो उनके भाई के पौत्र देव चक्रवर्ती ने भावमय तरीके से इसी मन्दिर में मेरे तो गिरधर गोपाल की प्रस्तुति कर दिखा दिया कि इस युवा कलाकार के अन्दर कितनी प्रतिभा छिपी हुई है।