नयी दिल्ली, 23 नवंबर। निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस के नेता एवं लोक सभा सदस्य राहुल गांधी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ राजस्थान की एक चुनावी जनसभा में अमर्यादित शब्दों और निराधार आरोपों के खिलाफ शिकायत पर गुरुवार को जवाब तलब करने का नोटिस जारी किया।
मोदी की आलोचना में जेबकतरा और भारतीय क्रिकेट के लिये पनौती जैसे शब्द प्रयोग तथा चुनिंदा उद्यमियों को लाखों करोड़ रुपये देने के गांधी के आरोपों के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दर्ज शिकायत पर गांधी को शनिवार शाम छह बजे तक जवाब देने के लिए कहा गया है। यह नोटिस कांग्रेस नेता के नयी दिल्ली स्थित घर के पते पर जारी किया गया है।
भाजपा ने राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतू में बुधवार 22 नवंबर की जनसभा में गांधी के कथित भाषण में मोदी की आलोचना में जेबकतरा और पनौती जैसे शब्दों के प्रयोग और ‘हिंदुस्तान के 10-15 अरबपतियों का नौ साल में 14 लाख करोड़ रुपये का
कर्ज माफ करने’ के आरोपों के आधार पर यह शिकायत की है।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि एक राष्ट्रीय दल के नेता के लिये प्रधानमंत्री के विरुद्ध जेबकतरा और पनौती जैसे शब्दों का प्रयोग करना शोभा नहीं देता। पार्टी ने यह भी शिकायत की है कि पिछले नौ साल में उद्योगपतियों के 14 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ करने का बयान भी तथ्यात्मक नहीं है।
पार्टी ने इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (4) और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 171जी, 504, 505 और 499 तथा आदर्श चुनाव-आचार संहिता के विरुद्ध बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
आयोग ने आदर्श चुनाव आचार-संहिता के प्रावधानों का उल्लेख करते हुये नोटिस में कहा है कि पार्टिंयों और उनके नेताओं पर अपुष्ट आधार पर आरोप लगाने से बचा जाना चाहिये।
पनौती शब्द को लेकर शिकायत पर आयोग ने गांधी को भेजे नोटिस में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लेख किया है जो चुनाव में भ्रष्ट परिपाटी को परिभाषित करती है। इसके अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति मतदाताओं को इस ऐसी बातों पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है या प्रेरित करने का प्रयास करता है कि वह जिस व्यक्ति में रुचि ले रहा है वह ‘दैविक कोप’ या आध्यत्मिक दोष’ का विषय सिद्ध होगा।
आयोग ने नोटिस में कांग्रेस नेता का ध्यान सुब्रमणियम स्वामी बनाम भारत सरकार एवं अन्य (2026)-7 एससीसी 221 मामले में उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का उल्लेख किया है कि धारा 19(1) (क) में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता संरक्षित की गयी है, पर अनुच्छेद 21 में जीवन का अधिकार भी संरक्षित है जिसमें प्रतिष्ठा की सुरक्षा का अधिकार अभिन्न रूप से जुड़ा है। आयोग ने गांधी को इस मामले में न्यायालय की इस टिप्पणी को याद दिलाया है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन की स्वतंत्रता दोनों ही अधिकारों में संतुलन बिठाना एक संवैधानिक आवश्कता है।
आयोग ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा टीटीवी दिनाकरन बनाम सीटी पब्लिक मामले में की गयी इस टिप्पणी का भी उल्लेख किया है, जिसमें न्यायालय ने कहा है कि राजनीतिक मंच से आरोप लगाते समय अपमानजनक भाषा के प्रयोग से बचने की बात कही गयी है।
आयोग ने गुरुजी श्रीहर बलिराम जोवतोड़े बनाम विठल राव (1969) 1 एससीसी 82 में की इस टिप्पणी का भी उल्लेख किया है कि धारा 123 (4) अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के साथ-साथ दुर्भावनापूर्ण निंदा और चरित्र हनन के प्रयास के निवारण, इन दोहरे उद्देश्यों के लिये बनायी गयी है।
नोटिस में गांधी से पूछा गया है कि उनके खिलाफ सम्यक धाराओं तथा आदर्श चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन के आरोपों में कार्रवाई क्यों ने शुरू की जाये। आयोग ने कहा कि यदि उसे निर्धारित समय में जवाब न मिला तो वह उनके खिलाफ शिकायतों पर वह उचित कार्रवाई करेगा।