
कोलकाता, 26 मार्च । पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे नए ओबीसी सर्वेक्षण पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इसमें “पूरी तरह काल्पनिक, मनगढ़ंत और अस्तित्वहीन समुदायों” को जोड़ा गया है।
यह सर्वेक्षण राज्य सरकार ने 18 मार्च को सर्वोच्च न्यायालय में किए गए अपने वादे के तहत शुरू किया है। दरअसल, पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया गया था। अदालत में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने तीन महीने के भीतर नए सर्वेक्षण की प्रक्रिया पूरी करने का आश्वासन दिया था।
हालांकि, शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार सुबह बयान जारी कर कहा कि यह नया सर्वे भी उसी आधार पर किया जा रहा है, जिस आधार पर पहले हाईकोर्ट ने 2010 के बाद जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बिना किसी वैज्ञानिक डेटा के, काल्पनिक समुदाय बनाकर, हिंदू ओबीसी समुदायों के हक को छीनने की साजिश कर रही है।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह कल्याण के नाम पर तुष्टीकरण की साजिश है। तृणमूल कांग्रेस सरकार अपने वोट बैंक को फायदा पहुंचाने के लिए गलत ओबीसी प्रमाणपत्र जारी करने को सही ठहराने की कोशिश कर रही है। यह सर्वे भी पूरी तरह भ्रामक और त्रुटिपूर्ण है।
उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पूर्व मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम विधानसभा सीट का सर्वे फॉर्म भी साझा किया, जहां से वे खुद विधायक हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सर्वे फॉर्म में ऐसे समुदायों के नाम शामिल किए गए हैं, “जो पहले कभी सुने ही नहीं गए और पूरी तरह काल्पनिक हैं।”