कोलकाता, 12 मार्च । कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को जादवपुर विश्वविद्यालय  के एक छात्र को पुलिस जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है। यह मामला 1 मार्च को विश्वविद्यालय परिसर में हुए हंगामे से जुड़ा है।

10 मार्च को, जेयू के एक छात्र ने हाईकोर्ट का रुख किया था और कोलकाता पुलिस पर छात्रों के खिलाफ अनावश्यक सख्ती बरतने का आरोप लगाया था। बुधवार को यह मामला जस्टिस तीर्थंकर घोष की एकल पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया।

सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि अदालत इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी और संबंधित छात्र को जांच में सहयोग करना होगा। उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि यदि अदालत केवल छात्र होने के कारण राहत देती है, तो यह गलत मिसाल कायम करेगा। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई चार अप्रैल को तय की है और सभी पक्षों को उस तारीख तक अपने-अपने हलफनामे दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

इसके अलावा, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से अपील की कि पुलिस को उनके मुवक्किल का मोबाइल फोन वापस करने का निर्देश दिया जाए। वकील ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल फोन को “व्यक्तिगत उपकरण” माना है, ऐसे में पुलिस छात्र से उसका फोन जब्त नहीं कर सकती। इस पर न्यायमूर्ति घोष ने कहा कि जांच के लिए मोबाइल फोन लिया जा सकता है, लेकिन पुलिस को इसे जल्द वापस करना होगा ताकि छात्र को नया फोन खरीदने की जरूरत न पड़े।

गौरतलब है कि एक मार्च को जादवपुर विश्वविद्यालय में राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु की कार को कथित तौर पर छात्रों ने रोका था, जिसके बाद झड़प हुई थी। छात्र विश्वविद्यालय में छात्र परिषद चुनाव कराने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि जब बसु विरोध के कारण परिसर से निकलने लगे, तो उनकी गाड़ी ने जानबूझकर दो छात्रों को टक्कर मार दी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

उधर, विरोध प्रदर्शन के दौरान मंत्री को भी हल्की चोटें आईं और उनकी तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।