
नई दिल्ली, 10 मार्च । दविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के सांसदों ने सोमवार को निष्पक्ष परिसीमन कराने की मांग और इस पर उपसभापति द्वारा चर्चा की अनुमति देने से इनकार करने के बाद राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद डीएमके के सांसद तिरुचि शिवा, पी विल्सन और पार्टी के अन्य सांसदों ने परिसीमन मुद्दे पर सोमवार को संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
डीएमके नेता त्रिची शिवा
और पी विल्सन ने तमिलनाडु के लिए निष्पक्ष परिसीमन पर चर्चा करने के लिए राज्यसभा के कार्य नियम 267 के तहत एक नोटिस दिया जिसे खारिज कर दिया गया। पी विल्सन ने मीडिय से बातचीत में कहा कि निष्पक्ष परिसीमन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि परिवार नियोजन नीतियों के कारण राज्य में जनसंख्या वृद्धि न्यूनतम रही है। 2026 में लागू होने वाले परिसीमन परिवर्तनों के बारे में राज्य में चिंता बढ़ रही है।
डीएमके सांसद तिरुचि शिवा ने केंद्र सरकार से परिसीमन प्रक्रिया का विकल्प तलाशने का आग्रह किया और कहा कि दक्षिणी राज्यों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। तिरुचि शिवा ने कहा, परिसीमन की प्रक्रिया 2026 में पूरी होनी है। संविधान के अनुसार, इसे जनसंख्या के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए। इससे पहले 42वें संशोधन और 84वें संशोधन में इसे 25 साल बाद पूरा करने का फैसला किया गया था, क्योंकि जन्म नियंत्रण की प्रगति को ध्यान में रखना होगा। अगर परिसीमन की प्रक्रिया उस आधार पर पूरी की जाती है, तो तमिलनाडु सहित सभी दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा।
इससे पहले इस मुद्दे को लेकर डीएमके के सांसदों ने रविवार को चेन्नई में एक महत्वपूर्ण बैठक की थी। इस दौरान 10 मार्च से शुरू हो रहे संसद सत्र में परिसीमन का मुद्दा उठाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने इस बैठक की अध्यक्षता की।