
इस्लामाबाद, 8 मार्च । अवैध शरणार्थियों के खिलाफ पाकिस्तान भी अमेरिका की तरह सख्त कदम उठाने जा रहा है। पाकिस्तान ने अवैध शरणार्थियों और अफगान नागरिक कार्ड (एसीसी) धारकों को 31 मार्च तक देश छोड़कर जाने को कहा है। निर्धारित समय के भीतर अगर उन्होंने स्वेच्छा से पाकिस्तान नहीं छोड़ा तो उन्हें 1 अप्रैल से जबरन निर्वासित किया जाएगा। यह निर्णय सरकार के अवैध विदेशी वापसी कार्यक्रम (आईएफआरपी) का हिस्सा है, जो शहबाज शरीफ सरकार ने 1 नवंबर 2023 से लागू किया था।
समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि सभी अफगान नागरिकता कार्ड धारकों और अवैध विदेशी नागरिकों को 31 मार्च 2025 तक देश छोड़ना होगा। जो लोग इस समय सीमा के भीतर स्वेच्छा से वापस नहीं लौटेंगे, उनके 1 अप्रैल 2025 से जबरन निर्वासन की प्रक्रिया शुरू होगी। गृह मंत्रालय ने भरोसा दिलाया है कि निष्कासन की प्रक्रिया के दौरान किसी प्रकार का दुर्व्यवहार नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान अपनी सीमा में हो रहे आतंकवादी हमलों और अपराधों के लिए लगातार अफगान नागरिकों को दोषी ठहरा रहा है। इन आरोपों के आधार पर साल 2023 में पाकिस्तान सरकार ने अवैध अफगान शरणार्थियों को वापस भेजने का अभियान शुरू किया था।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2023 के बाद से अब तक 8 लाख से अधिक अफगानी पाकिस्तान से अफगानिस्तान लौट चुके हैं। पाकिस्तान ने लगभग 2.8 करोड़ अफगान शरणार्थियों को शरण दी है। अफगानिस्तान में पिछले 40 साल से जारी संघर्षों के दौरान ये शरणार्थी अलग-अलग समय पर पाकिस्तान पहुंचे हैं।
खास बात यह है कि अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद लाखों अफगान नागरिकों ने पड़ोसी देशों का रुख किया जिनमें सबसे ज्यादा संख्या में पाकिस्तान और ईरान पहुंचे। पाकिस्तान में पहले से ही लगभग 30 लाख अफगान शरणार्थी थे, जो 80 के दशक में आए थे। तालिबान की वापसी के बाद 6 लाख से अधिक नए शरणार्थी पाकिस्तान पहुंचे।