कोलकाता, 13 फरवरी ।  पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्धमान जिले के जमालपुर डाकघर में कथित वित्तीय घोटाले की जांच अब सीआईडी करेगी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए सीआईडी को छह महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।

गुरुवार को न्यायमूर्ति तिर्थंकर घोष की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस ने डेढ़ साल में इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की। न्यायमूर्ति घोष ने सवाल उठाया, “अगर लोग सरकारी संस्थानों में पैसे रखकर भी ठगे जाएंगे, तो वे न्याय के लिए कहां जाएंगे?”

क्या है मामला?

जमालपुर के निवासी सुरजीत पाल ने अदालत में याचिका दायर कर बताया कि उनके पिता रंजीत पाल ने 2021 में जमालपुर डाकघर में 12 लाख रुपये जमा किए थे। 2022 में जब उन्होंने अपनी बीमार मां के इलाज के लिए यह राशि निकालनी चाही, तो पोस्ट ऑफिस ने पैसे देने से इनकार कर दिया।

सुरजीत, जो फल व्यापारी हैं, ने जब इस मामले की शिकायत जमालपुर थाने में की, तो पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इस पर उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया।

31 जनवरी को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति घोष ने पुलिस से इस मामले में की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था और केस डायरी तलब की थी लेकिन जब पुलिस संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी, तो अदालत ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी।

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एडीजी (सीआईडी) की अगुवाई में टीम इस मामले की जांच करेगी और छह महीने में रिपोर्ट सौंपेगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीआईडी को यह देखना होगा कि पुलिस ने अब तक इस मामले में क्या कदम उठाए और क्यों उचित कार्रवाई नहीं की गई।

सुरजीत पाल के वकील उदय शंकर चट्टोपाध्याय के अनुसार, उनके मुवक्किल ने जब पैसे मांगे, तो पोस्टमास्टर ने रकम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की। अब अदालत के आदेश के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।